आइये आपका स्वागत है

Monday 16 September 2013

सोचो जरा .....

दहेज प्रथा

सामाजिक पतन

कैसी ये व्यथा !!



भ्रूण संहार

अंसतुलित हम

गिरता स्तर !!



घना कोहरा

छायी उदासीनता

न हो सवेरा !!




उम्र नादान

विलक्षण प्रतिभा

छू आसमान !!



कड़वा सच

गिरती नैतिकता

देख दर्पण !!



प्रवीन मलिक .......

10 comments:

  1. अच्छे हाइकू लिखे हैं प्रवीण जी !

    ReplyDelete
    Replies
    1. शालिनी जी सीख रही हूँ ... यही प्रयास है कि एक दिन अच्छे हाइकु लिखूँ ...सादर धन्यवाद !

      Delete
  2. आदरेया प्रवीन जी आपके पांचो हाइकू एक से एक बढकर है,बहुत ही सार्थक हाइकू हैं,धन्यबाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय राजेन्द्र जी हाइकु लिखना सीख रहीं हूँ ़़ आप लोगों को पसन्द आये तहे दिल से आभार ... सादर धन्यवाद !

      Delete
  3. Replies
    1. आप लोगों का स्नेह पाकर लिखना सार्थक हुआ सरस जी ... स्नेह यूहीं बनाये रखिये ... सादर धन्यवाद !

      Delete
  4. सादर धन्यवाद आदरणीय ....

    ReplyDelete

पधारने के लिए धन्यवाद