जब दिल में दर्द ही दर्द ठहरा हो ,
दरिया आँखों से बह रहा हो
होंठों पर चुप्पी का पहरा हो
तब न तुम आवाज़ देना मुझे
क्यूंकि तब मैं कुछ न कह पाऊँगी
कुछ समझाओगे तो न मैं समझ पाऊँगी !
जब से तुम संग दिल जोड़ लिया ,
साथ तेरे ही जीना मरना तब से ही ये प्रण लिया !
तेरे प्यार ने ऐसा दिल में घर किया,
कुछ और न देखा न समझा जाने ये क्यों किया !
तुम्हारे अलावा कुछ और दिखा नहीं ,
दिखता भी कैसे, आँखे जो बंद की फिर खोली नहीं !
चलते गए साथ तेरे पीछे मुड़कर देखा नहीं ,
जब देखा तो फिर कोई , और अपना दिखा नहीं !
आज रंज है की तू भी अब अपना लगता नहीं ,
साथ तो तू मेरे है , पर साथ दिखता नहीं !
तुम भी वही हो , और मैं भी वही हूँ ,
फिर पहले जैसा कुछ क्यूँ लगता नहीं !
समय बदल जाता है ये तो हमें पता था ,
पर इंसान भी बदल जाते हैं ये भी अब जान लिया !
मैं जो एक बार खो गयी फिर न मुझे ढूंड पाओगे ,
हर पल रोओगे , याद करोगे और फिर पछताओगे !
अभी समय है एक आवाज़ लगा देना ,
दौड़ कर जो वापस ना आई तो फिर भुला देना !