तेरी यादों का एक
महल बनाया
उसकी हर दीवार पर
तुम्हे ही सजाया
उसमे तेरे दिए हल
पल को पाया
उसी को फिर मैंने
अपना जहाँ बनाया
जिससे कभी न फिर
मैं निकल पाया
महल की हर दिवार
हर कोने पर
तेरे दिए हसीन जख्मो
को ही पाया
बहुत चाहा निकाल
बाहर फेंकू तुम्हे
पर हर बार खुद को
मजबूर पाया
जाने क्या जादू था
तेरी उन बातों में
बिना किसी डोर के
खिंचा चला आया
मुलाकातों के उन
पलों में खुशिये से
ग़मों का प्रतिशत
ही ज्यादा पाया
भुलाना चाहा हर उस
पल को
जो था कभी तेरे
संग बिताया
पर शायद मेरी
किस्मत को भी
तुझसे दूर जाना
रास न आया
जब भी कोशिश की दूर जाने की
तेरी यादों का
काफिला संग आया
लोग बहुत हैं
जिंदगी में चाहने वाले
पर मेरे दिल को
सिर्फ तेरा ही साथ भाया
किस्मत के लिखे को कोई मिटा न पाया
इसीलिए दुनिया में दर्दे-ऐ-दिल है समाया
लोग बहुत हैं जिंदगी में चाहने वाले,
ReplyDeleteपर मेरे दिल को सिर्फ तेरा ही साथ भाया ...
वाह !!! अनुपम भाव
badhiya praveen ji..
ReplyDeletebahut khoob kya andaze ahshas hai,umda
ReplyDeletewaaaah waaaaah hot khb bhot khub....behtrin hai waaaaaah
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अहसास,वाकई उत्कृष्ट.
ReplyDeletewah wah,yado ka sundar karvan
ReplyDeleteजो दिल मिएँ रहता है वो दिल से बाहर कहां जा पाता है ...
ReplyDeleteलौट के आता रहता है ...
प्रेम का एहसास लिए ...
यादें कहाँ जा पाती हैं जेहन से. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसुंदर अहसास..
ReplyDeleteदिल के सुंदर एहसास
ReplyDeleteहमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।