अजय रोज ही शराब पीकर आता और आते ही सुधा पर हाथ छोड़ने लगता किसी न किसी बहाने से ! सुधा रोज रोज के इस अत्याचार से तंग आकर मायके चली गई लेक्न सास ससुर ने कोई आवश्यक कदम नहीं उठाया इस विषय पर ! सुधा के पिता जी ने उसके सास ससुर को समझाया भी कि आप अपने बेटे को समझाएं वरना हमों समझाना होगा ... बेहतर यही होगा कि आप बात करें ! सास ससुर ने सुधा के पिता जी को चटक से कह दिया कि कहासुनी किसके घर नहीं होती और गुस्से में अजय ने हाथ उठा भी दिया तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा .. सुधा को भी तो समझना चाहिए ! सुधा के पिताजी तुनक कर रह गये पर बेटी के ससुराल का मामला था तो ज्यादा कुछ न कहते हुये बोले कि अगर सुधा की कोई गल्ती हो तो समझ आता है पर इस व्षय पर आप थोड़ा संयम और निष्पक्ष होकर सोचें तो शायद आप समझे आखिर आप भी एक बेटी की माँ हैं ! काफी दिन बीत गये पर सुधा की ससुराल से कोई नहीं आया सुधा की खबर लेने और अजय ने भी पीना कम नहीं किया बल्कि ज्यादा ही कर दिया ! एक दिन रात के तीन बजे सुधा की ननद रोती हुई मायके आ पहुंची ! इतनी रात को आरती(सुधा की ननद) को देखते इस हाल में देखकर अजय और उसके मम्मी पापा के पैरों तले जमीन निकल गई ! उसी वक्त गाड़ी निकालकर आरती की ससुराल पहुँच गये और उसके पत् व सास ससुर को बहुत बुरा भला कहने लगे ! विकास(आरती का पति) आगे आया और बोला साले साहब इतना कष्ट हो रहा है अपनी बहन की आंखों में आंसू देखकर .... सुधा की भी ऐसी ही हालत करके भेजा था तब आपको कोई तकलीफ नहीं हुई ! इतना सुनना था कि अजय और उसके माता पिता पर मानों घड़ों पानी फिर गया और बोले बेटा हम अभी सुधा को लेने जा रहे हैं तुम बस आरती का ख्याल रखना ! आरती आगे बढ़ी और बोली माँ ये सब आप लोगों को समझाने के लिए था .. कल हम सुधा भाभी से मिलने गये तो पता चला सब ... माँ सुधा भाभी भी आपकी बेटी हैं उनको तकलीफ में देखकर उनके बूढ़े माँ बाप को भी इसी तरह तकलीफ होती है जिस तरह आपको मुझे इस हाल में देखकर हुई ! बस अब सुधा के सास ससुर देर नहीं करनै चाहतेे थे और बहू को लेकर आ गये !
प्रवीन मलिक