बुढ़ापा आया / कष्ट साथ में लाया / कैसी विपदा
द्रवित मन
टूट चुके हौसले
जर्जर तन
आखिरी क्षण
इकलौती चाहत
बेटे की गोद
टूटा है दिल
अवहेलना पाई
बच्चों से मिल
लुटा जीवन
संवारा है भविष्य
प्रिय संतान
मोह ममता
अपने ही खून से
पड़ी मंहगी
घर का कोना
मिलना है दूभर
उठा बिछौना
छलकी आँखें
कचोट रहा मन
बुढ़ापा बैरी
नींद लुटाई
लाडले का भविष्य
सवांरने को
बुढ़ापा आया
कष्ट साथ में लाया
कैसी विपदा
सारी जिंदगी
प्यार-प्रेम लुटाया
कुछ न पाया
हमारा कल
त्याग का है गवाह
सुन ले आज
प्रवीन मलिक
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01-05-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
ReplyDeleteआभार
आपका सादर धन्यवाद दिलबाग विर्क जी मेरी रचना को सम्मान देने के लिए ... आभार
Deleteएक कटु सत्य बयान करते प्रभावी हाईकू ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteसाधना वैद जी आपका तहेदिल से आभार कि आपने रचना को पढ़ा और सराहा ...
Deletewaah.waah..katu kintu satya..behad kamyab panktiyan..bahut bahut badhai.
ReplyDeleteSambhvtah pahli baar aapke blog par aana hua hai..bahut achha laga..koshish rahegi ki bhavishya men bhi aapki rachnaon ka aanand leta rahu..bahut abhar.
dil chhune wale haiku, ant satik
ReplyDeleteshubhkamnayen
सत्य को बयाँ करते हाइकू।
ReplyDeleteकुछ हम झुकें
कुछ वे रुकें
तो हो समझौता।
कटु सत्य बयान करते प्रभावी हाईकू
ReplyDeleteआखिरी क्षण
ReplyDeleteइकलौती चाहत
बेटे की गोद............सभी हाइकु मार्मिक !!
वाह
ReplyDeletebahut sundar aur sachhai bhi ...
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