हर कोई अपने स्तर पर श्रमिक है और पसीना बहाना श्रमिक की पहचान है पर हर स्तर पर श्रमिक को सम्मान नहीं मिलता यदि आप अपने उच्च अधिकारी से सम्मान की अपेक्षा रखते हैं तो आपका भी फर्ज है अपने निम्न स्तर के श्रमिकों को उचित सम्मान देना .... आखिर खून पसीना बहाते हैं भले ही अपने पेट के लिए पर उनका सहयोग हर स्तर पर मायने रखता है और विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है !
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कर्कश वाणी
सहना मजबूरी
सब हैं जाणी
***
पेट की आग
जलाए हरपल
कैसे अभाग
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सूखा शरीर
श्रम है मजबूरी
न हो अधीर
***
थोड़ा सम्मान
श्रमिक हकदार
जरा ले जान
***
नन्हें श्रमिक
खो रहे बचपन
सुनो धनिक
***
रद्दी बीनता
वो बाल मजदूर
पेट की चिन्ता
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प्रवीन मलिक
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कर्कश वाणी
सहना मजबूरी
सब हैं जाणी
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पेट की आग
जलाए हरपल
कैसे अभाग
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सूखा शरीर
श्रम है मजबूरी
न हो अधीर
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थोड़ा सम्मान
श्रमिक हकदार
जरा ले जान
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नन्हें श्रमिक
खो रहे बचपन
सुनो धनिक
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रद्दी बीनता
वो बाल मजदूर
पेट की चिन्ता
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प्रवीन मलिक
पेट की आग
ReplyDeleteजलाए हरपल
कैसे अभाग
..
मजदूर और मजबूर में ज्यादा द और ब का फर्क भर है
चिंतनशील सामयिक प्रस्तुति ..
दिवस विशेष की शुभकामनायें!
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (02.05.2014) को "क्यों गाती हो कोयल " (चर्चा अंक-1600)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteसादर आभार राजेंद्र जी मेरी रचना को अपने चर्चा अंक में शामिल करने के लिए ..
Deleteसभी श्रमिकों को नमन आज
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