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माँ की परछाई |
माँ शब्द को परिभाषित करना मतलब सारी भावनाओं को , सारे अहसासों को , सारी संवेदनाओं को , सारी दुआओं को , सारे त्याग को , अनंत प्रेम को विस्तार में कहना ! माँ के लिए लिखने पर शब्द खत्म हो सकते हैं पर माँ का प्यार अनंत बाहें फैलाकर शब्दों में समाना ही नहीं चाहता ! माँ तो वो है जो हमारे जन्म से पहले से ही हमारे लिए त्याग करना शुरु कर देती है , हमारी सेहत के लिए अपने पसंद के भोजन तक को बदल देती है , अपनी सारी रातें हमारे नाम कर देती है , अपने सपने सब हमपर कुर्बान कर देती है , खुद की जान पर खेलकर हमें इस दुनिया में लाती है , हमारी पहली गुरु बन कर हमारी शिक्षा की नींव रखती है , गलत सही के बीच भेद बतलाती है , अच्छे बुरे का फर्क समझाती है , हमारी छोटी- छोटी खुशियों में ही वो खिलखिलाकर मुस्काती है , दर्द हमें हो तो आँसू वो बहाती है , हमारी हर बात को बिन कहे समझ जाती है .... माँ के लिए जितना कहा जाये कम ही पड़ता है !
कुछ कभी जब भी माँ की याद आये तो शब्दों में ढ़ालना चाहा ...
जिंदगी की राह में जाने कितने मोड़ आते हैं
कुछ अजनबी मिल जाते तो कुछ अपने छूट जाते हैं
सफर ये रुकता नहीं है किसी के छूट जाने से भी लेकिन
हाँ वक्त वक्त पर छूटे हुये अपनेे याद बहुत आते हैं .....
माँ के हाथ के खाने में जाने क्या स्वाद था ,
रुखी-सूखी खाकर भी दिल तृप्त हो जाता था !
खुद के बनाये लजीज खाने में भी अब ,
न वो स्वाद है और ना ही दिल को तृप्ति होती है !!......
माँ का आँचल कितना भी झीना क्यूँ न हो
औलाद को हर अल्ली-झल्ली से बचा लेता है !!....
माँ की दुआएँ ढ़ाल बन जाती हैं
जब भी मेरी जिंदगीं में मुश्किलात आती हैं !!
यूँ तो अपने बहुत हैं कहने को माँ ,
पर तुमसा अपनापन किसी में नहीं है !!
तुम्हारी डांट में भी कितना प्यार छुपा था माँ ,
माँ बनकर ही तेरा वो प्यार अब समझ आया !!
बात बात पर रूठ जाया करते और तुम पल में मना लिया करती ,
वो रुठना मनाना आज फिर से बहुत याद आया माँ !!
सारे भाव अलग अलग परिस्थितियों में माँ की अहमियत का अहसास कराते हैं और माँ की यादों को अनमोल बनाते हैं !
माँ जैसी ही बनना है मुझे पर उसके जितनी ममता कहाँ से लाऊँ .....