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Monday 13 May 2013

वफ़ा या बेवफा ..........

ये कहानी मैंने कहीं सुनी थी किसी ऍफ़ एम् चैनल पर शायद सफ़र के दौरान ... मन और मस्तिष्क को हिला कर रख दिया ... आखिर किसकी गलती है यही सोचते सोचते सफ़र कब पूरा हो गया पता ही नहीं चला और मुझे जवाब भी नहीं मिला ... इसीलिए मुझे लगा की यहाँ आप सब के साथ इसे साँझा करू शायद मुझे मेरे सवालों  का जवाब मिल जाये जो कहानी को बीच में ही ऍफ़ एम् द्वारा बंद कर दिया गया था और उस कहानी का अंत अब खुद ही समझना था .... जिसमे कहानी को बहुत से सवालों के चलते बंद किया था  .....

प्रीति की शादी लगभग १२ वर्ष पहले प्रेम से हुयी थी ! प्रीति और प्रेम के बीच बहुत ही प्यार और सूझबूझ का रिश्ता था ! दोनों काफी मेहनत करते थे अपने अपने क्षेत्र में हर मुस्किल को दूर करने और हर बुलंदी को छूने  के लिए और मज़े की बात ये की किस्मत भी उनका भरपूर सहयोग दे रही थी .... एक छोटी सी नौकरी अब बदलकर एक छोटे से बिजनेस  का रूप ले चुकी थी ! साथ साथ दो बच्चों के माता पिता भी बन चुके थे दोनों !  बेटी रिया और बेटा आर्यन दोनों बड़े हो रहे थे  ...

प्रीति बच्चों की देखभाल पति की देखभाल और साथ में सास ससुर की देखभाल में कोई कमी नहीं रखती थी ! समय से पहले उन सबकी जरूरतों को पूरा करती खाने से लेकर सेवा पानी सब खुद ही देखती थी ! प्रेम भी प्रीति का जब भी उसको समय मिलता पूरा साथ देता था घर के हर छोटे बड़े काम में ! प्रीति की कभी  कोई ख्वाहिस प्रेम ने अधूरी नहीं रखी ! प्रीति को पूरी आज़ादी थी अपनी जिम्मेदारियों के बाद अपनी मर्ज़ी से कुछ भी करने की ...... 

प्रीति अपने परिवार में खुश थी ! प्रेम भी दिन रात मेहनत कर अपने बिजनेस  को आगे बढ़ने में लगा हुआ था ! उसको बस एक ही धुन सवार  थी कि अपने काम को इतना आगे बढ़ाये की ना उनके बच्चों को कभी किसी कमी को महसूस करना पड़े बल्कि एक रुतबा भी हो उसका , मान मर्यादा भी हो और एक कामयाब सफल बिजनेसमेन बन जाए ... इसके लिए उसने दिन रात एक कर रखा था ... और इस बीच प्रीति को वो भूल सा गया था ... थका हारा घर लेट ही आता और सुबह फिर जल्दी निकल जाता ! प्रीति और प्रेम साथ साथ रहते हुए भी अजनबी से होकर रह गए थे एक दुसरे के लिए .... इसका मतलब ये नहीं था की दोनों के बीच प्यार ख़त्म हो गया था बल्कि समय की कमी हो गयी थी प्रेम के पास ...... जिसका उसको अंदाजा भी नहीं था !

लेकिन इन सबके चलते प्रीति कुछ घुटी घुटी रहने लगी ! प्रेम के पास समय नहीं प्रीति की बात सुनने का ! सास ससुर अपनी ही दुनिया में रहते .. बहु अछि सेवा कर रही है घर परिवार संभाल रही है उनको अच्छा लग रहा था लेकिन कभी ये देखने या समझने की कोशिश नहीं की उसके दिल में क्या चल रहा है .... प्रीति का व्यवहार भी पहले की बजाय थोडा बदल गया था हर समय अब वो गुस्से में रहती थी शायद इसीलिए की कोई उसको ऐसा नहीं मिलता था जिससे वो अपने मन के भावो को व्यक्त कर पाती ....

इसी दौरान एक दिन प्रीति की मुलाक़ात अंतर्जाल पर एक राहुल नाम के व्यक्ति से हुयी ! आपसी परिचय के दौरान दोनों में दोस्ती हो गयी ! अब प्रीति को एक अच्छा  दोस्त मिल गया था जिससे वो अपने दिल की हर बात कहकर अपने दिल को हल्का कर लेती थी ! रोज अपने काम को निबटाकर राहुल से नेट पर घंटो बाते करना उसका रुटीन सा बन गया था ! उसको कभी लगता ही नहीं था की वो किसी अजनबी से बात कर रही है ! राहुल भी उसकी सारी बातें ध्यान से सुनता उसको उचित सलाह भी देता ! उसको समझाता की प्रेम से भी वो गुस्से से नहीं प्यार से ही बात करे .. प्रेम को समझाए की मेरे लिए भी समय निकालो ! इन सब के चलते हुए उनको काफी समय बीत गया ! दोनों की नजदीकियां इतनी बढ़ गयी की आपस में टेलिफ़ोन नंबर भी ले लिए .. जब नेट पर होते तो बात होती ही उसके अलावा जब नेट पर नहीं होते तो आपस में मेसेज मेसेज से बात करते रहते .... इन सबके चलते हुए राहुल ने प्रीति को कहा की उसको उससे प्यार हो गया है ! प्रीति को समझ ही नहीं आया की क्या जवाब दे राहुल को और उसने गुस्से में उससे कह दिया की मुझसे बात न करे लेकिन प्रीति भी जानती थी की कह तो दिया है लेकिन वो खुद ही बात किये बिना रह नहीं सकती थी और राहुल के प्यार को भी एक्सेप्ट नहीं कर सकती थी ... ३-४ दिन दोनों में कोई बात नहीं हुयी फिर राहुल ने उसको मेसेज किया की उसको उससे डरने की जरुरत नहीं है प्यार किया है कोई खेल नहीं खेल रहा की तुमको कही बदनाम करूँगा या फिर तुमसे कोई गलत डिमांड करूँगा .. प्रीति मेसेज पढ़कर थोडा शांत हुयी और रिप्लाई कर दिया .. फिर से बातो  का सिलसिला जारी  हो गया ....

ऐसा एक बार नहीं ऐसा उनके बीच कई बार हुआ !  कितनी बार दोनों ने आपस में बातचीत बंद की लेकिन कुछ अंतराल पर फिर शुरू ! जब जब प्रीति को अहसास होता की वो क्या कर रही है ... ये तो प्रेम को धोखा देना है ऐसा उसके दिमाग में आता और बात बंद ... लेकिन फिर उसको राहुल की इतनी आदत हो चुकी थी की फिर से बात करना शुरू ! इन सबके चलते हुए भी प्रेम के लिए उसके दिल में वही प्यार बना हुआ था ... घर की तरफ पहले सा रुझान था उतनी ही लगन थी लेकिन कहीं न कहीं अब वो दिल ही दिल में परेशां थी लेकिन उसका अपने दिल पर जोर नहीं चलता था ! दिल उसको राहुल के करीब लाता और दिमाग उसको दूर ले जाता ! इसी कशमश में वो बहुत परेशां रहने लगी ! उधर राहुल का भी यही हाल था ! न उसका प्रीति के बिना मन लगता था और न ही प्रीति उसके प्रपोजल को एक्सेप्ट कर रही थी ! झुंझलाहट में उसने कितनी बार प्रीति को गुस्सा भी किया ! प्रीति भी अपराधबोध सी रहती ! अब उसको लग रहा था की कुछ पल जो उसने राहुल के साथ बिताये वो कितने हसीं थे उसको उसकी हर समस्या से निजात दिला देते थे लेकिन अब वही पल उसको रह रहकर याद आ रहे थे ... न तो वो राहुल को एक्सेप्ट कर पा रही थी और न ही उससे दूर जा पा रही थी ...

अब उसके दिल पर एक भारी  बोझ है जो वो प्रेम को बता भी नहीं सकती ! उसके दिल में एक अजीब सा दर्द रहने लग गया ! वो क्या चाहती है उसको खुद भी पता नहीं ! इन सबका जिम्मेदार कौन है ये भी वो समझ नहीं पा रही ! किसको दोषी ठहराए वो समय को , प्रेम को या खुद को ! इसी उधेड़बुन में आजकल उसका हर दिन और हर रात बीत जाती  ! खूब सोचती  लेकिन उसको कोई रास्ता नज़र नहीं आता ! दूसरी तरफ प्रेम को इस बात का अहसास भी नहीं  की प्रीति किस मानसिक उलझन से गुजर रही है ! उसको अब भी प्रीति पहले जैसी ही लगती  क्यूंकि अब भी प्रीति प्रेम का ख्याल पहले जैसे ही रखती  ! अन्दर ही अन्दर एक युद्ध सा चल रहा है कि क्या करे वो ... वो किसी से सलाह नहीं ले सकती इस विषय में ! राहुल भी उसको कभी मजबूर नहीं करता की वो क्या फैसला ले ! राहुल ने प्रीति को अपना फैसला लेने का टाइम दिया ... वो जो चाहे फैसला ले सकती है ! अगर वो कहे की अब आगे से कोई रिश्ता नहीं रखना  तो ऐसा ही होगा लेकिन वो उम्र भर जब तक जिन्दा रहेगा उससे प्यार करता रहेगा ऐसा राहुल ने प्रीति को कहा ! और इसी बात से प्रीति फैसला नहीं ले पा रही ! वो राहुल को दुखी भी नहीं देख सकती और उसको उसकी खुशियाँ भी नहीं दे सकती ! .....

आज प्रीति पहले से भी ज्यादा अकेली खुद को महसूस करती है ! ये अकेलापन उसको दिन रात मानसिक तनाव की तरफ ले जा रहा है ! वो इससे निजात पाना चाहती है लेकिन कैसे ? वो न तो राहुल को ना कर सकती है क्यूंकि उस पर कोई दबाव नहीं है लेकिन उसका दिल इसकी इजाजत नहीं देता ! वो उसको हाँ करने की इजाजत भी नहीं देता क्यूंकि इन सबमे उसे प्रेम की चिंता बहुत ज्यादा है ! फिर उसके बच्चे एक बेटा और एक बेटी जो बड़े हो रहे हैं ! अगर कभी उनको अपनी माँ के और राहुल के बारे में पता चलेगा तो वो क्या जवाब देगी उनको .... क्या उसके बच्चे अपनी माँ की बात को समझ पाएंगे या फिर माँ को गलत ही सोचेंगे ..... प्रीति ने जानबूझकर ऐसा कुछ नहीं किया था ..... जो भी हुआ बस अपने आप होता चला गया .... क्या फैसला ले प्रीति ??? ....  प्रशन बहुत हैं उसके सामने लेकिन जवाब एक भी नहीं .....

तो ये थी वो कहानी जो मैंने सुनी थी ! क्या हुआ होगा ? प्रीति ने क्या फैसला लिया होगा ? प्रेम की इस बात का पता चला होगा या नहीं ?? अगर चला होगा तो क्या हुआ होगा ? क्या प्रेम प्रीति को माफ़ कर देगा या फिर उससे रिश्ता तोड़ देगा ?? अगर प्रीति ने ना कर दिया होगा तो राहुल का क्या हुआ होगा ? क्या राहुल प्रीति के फैसले को जैसा वो कह रहा था की वो चुपचाप मान लेगा वैसे मान लिया होगा ? ऐसे ही न जाने कितने सवाल मेरे मन में उठे कहानी सुनने के बाद ... और इन्ही सवालों से घिरी हुयी मैं अपने गंतव्य स्थल पर कब पहुँच गयी पता ही नहीं चला ! कहानी में इतनी खो गयी थी की गाडी कब रुक गयी मुझे कोई पता नहीं .. अचानक इनके कहने से की चलिए मैडम उतरिये हम पहुँच गए हैं तब मेरा ध्यान भंग हुआ ....  आपको कैसा लगा ये कहानी पढ़कर बताइयेगा जरुर .........


12 comments:

  1. कई बार जरूरी नहीं होता की अंत खोजा जाए ....
    ऐसे रिश्तों का अंत नहीं होता ... हां प्रीती की ग्लानी ठीक नहीं ... उसने जो किया समय अनुरूप किया ... मन कोई पत्थर नहीं हो सकता .... क्या पता उसके पति नि भी ऐसे ही मन को हल्का किया हो ... या वो तो बाहर रहता अहि तो उसे प्रीती जैसा अनुभव न हुआ हो ...

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल १४ /५/१३ मंगलवारीय चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।

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    1. जी राजेश कुमारी जी जरुर .... आपका बहुत बहुत धन्यवाद इस कहानी को आपने अपनी चर्चा में शामिल किया ...
      सादर !

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  3. कहानी बहुत अच्छी लगी.... मेरे विचार से प्रीति प्रेम के पास ही लौट गयी होगी .होना भी यही चाहिये .

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  4. are waaaah bhot achchi khani hai......
    rhi bat priti ki to uske sath or aapke jese hi me bhi ab ulzan me hu ke kya huva hoga!!!!!????

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  5. कहानी बहुत रोचकता से प्रस्तुत की...ऐसे संबंधों का अंत शायद ही सुखद होता है...प्रीति का दर्द और शिकायत निश्चय ही वाज़िब है, पर मेरे विचार से उसने प्रेम का साथ नहीं छोड़ा होगा...

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    शेअर करने के लिए शुक्रिया!

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  7. रोचक कहानी ...अंत जान्ने की तो मेरी भी इच्छा है..सादर बधाई मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है

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  8. कहानी बहुत अच्छी लगी.....

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  9. कहानी बहुत अच्छी लगी

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  10. kahani me preeti ki mann ki sari baate kahi gayi par prem k mann ki koi baat nahi kahi use kaam ki dhunn thi aisa kehkar side kar diya gaya preeti ko akelapan tha to use door karne ke aur bhi tarike hote hai..prem se khulkar baat karni chahiye thi aur time baccho me aur ghar me dena chahiye tha.jaruri nahi ki akelepan ko dorr karne k liye hum kahi aur dil laga le...mere vichar se preeti ne ye galti ki hai dosti tak sab theek hai par baat ko itna jyada nahi badana chahiye tha...ab agar preeti prem k pass nahi jati hai to wo life ki dusri badi galti kar degi....

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  11. kahani me preeti ki mann ki sari baate kahi gayi par prem k mann ki koi baat nahi kahi use kaam ki dhunn thi aisa kehkar side kar diya gaya preeti ko akelapan tha to use door karne ke aur bhi tarike hote hai..prem se khulkar baat karni chahiye thi aur time baccho me aur ghar me dena chahiye tha.jaruri nahi ki akelepan ko dorr karne k liye hum kahi aur dil laga le...mere vichar se preeti ne ye galti ki hai dosti tak sab theek hai par baat ko itna jyada nahi badana chahiye tha...ab agar preeti prem k pass nahi jati hai to wo life ki dusri badi galti kar degi....

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पधारने के लिए धन्यवाद