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Monday 15 August 2016

आज़ादी जिम्मेदारी भी है ।

आज़ादी सभी को चाहिए पर आज़ादी के साथ कर्तव्य और जिम्मेदारियां भी होती हैं अपने देश के लिए समाज के लिए । हर चीज़ का दोष प्रशासन पर न मढ़कर हर किसी को अपने स्तर पर देश के लिए कुछ अच्छा करना चाहिए ताकि हम अपनी आज़ादी पर गर्व कर सकें और हमारे देश के लिए शहीद हुए वीर जवानों को सच्ची श्रंद्धांजलि दे सकें।

देश हमारा
जिम्मेदारियां भी हमारी
कर्तव्य भी हमारे
सिर्फ लेने का नाम ही नही
देश को कुछ देना भी पड़ता है
आज़ादी के लिए
मर मिटे थे कितने वीर सपूत
उस आज़ादी का मान
रखना भी हमारी जिम्मेदारी है ।

आन तिरंगा मान तिरंगा
तिरंगे की शान बढ़ाना है
देकर सबक गद्दारों को
वीरता का परचम लहराना है
लड़ाई अपनों से नहीं
दुश्मनों को मार भगाना है
हो रहे नैतिक पतन को
नैतिकता का पाठ पढ़ाना है
लालच की जंजीरे काट
भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना है
नारियों को देकर सम्मान
वेद-पुराणों की शान बढ़ाना है
देश हमारा अपना है
हमें इसका का गौरव बढ़ाना है ।।

     भारत माता की जय
     वंदे मातरम् जय हिन्द।।

प्रवीन मलिक

Wednesday 27 July 2016

अधूरा प्यार

 अधूरा प्यार....
श्रुति बहुत ही खुशमिजाज लड़की थी, हर पल को बखूबी जीने वाली, इस तरह मानो कल आएगा ही नही जो है बस अभी है ! वह खुशमिजाज तो थी ही साथ ही साथ पढ़ने-लिखने में भी बहुत अच्छी थी। श्रुति जैसे ही बाहरवीं कक्षा में आई हर तरफ से उसको नसीहतें मिलने लगीं कि बस यही एक साल रह गया है जो आगे तेरा भविष्य निर्धारित करेगा ! श्रुति यूँ तो टेंशन लेने वाली लड़की नही थी, उसको मालूम था कि वो जो चाहे कर सकती है फिर ये बाहरवीं क्या चीज है,  अब तो उसने और भी जी-जान लगा कर पढाई करनी शुरू कर दी थी ! यही वो समय था जिसने श्रुति के जीवन को बदल कर रख दिया ....
श्रुति की माँ ने श्रुति से कहा – “क्या सारा दिन तुम किताबों में घुसी रहती हो, अंकित(श्रुति का भाई) भी घर पर नहीं है जाओ जरा विमला भाभी के घर से दूध ले आओ ...
श्रुति:  क्या मम्मी मुझे नही पता, मुझे बहुत काम है पढाई का, और मम्मी जरा अंकित को बोलिये घर पर टिके थोड़ी पढाई करे, हमारे मैथ के सर हमेशा मुझसे उसकी शिकायत करते हैं कि उसका पढाई में बिलकुल ध्यान नहीं है ....
श्रुति की मम्मी: तो बेटा तुम ही उसको थोडा पढ़ा दिया करो ना, अब जाओ पहले जाकर दूध ले आओ अंकित की खबर बाद में ले लेना, जाओ ले आओ मेरा बच्चा तुम तो मेरी सुपर हीरो हो ना, कहते हुए माँ श्रुति के सिर पर प्यार भरा हाथ फेरनी लगी ......
श्रुति ने चुटकी लेते हुए कहा - अहा बटरिंग मम्मी, ये सही है काम निकलवाने के लिए, ठीक है कहते हुए वह अपनी किताबें समेटने लगी ...
श्रुति: माँ लाओ डिब्बा दे दो, माँ से डिब्बा लेकर श्रुति विमला भाभी के घर चली गयी, जो श्रुति के घर के सामने ही है, विमला भाभी ने 2 भैंस और 2 गाय रखी हुई हैं, रमेश (विमला के पति) और विमला दूध बेचकर अपना काम चलाते हैं। विमला का देवर नरेश जो कि कॉलेज में अपनी पढाई करते हुए बच्चों को ट्यूशन भी देता है जिससे कि उसकी पढाई का खर्च चलता है ....
श्रुति ने विमला के आँगन में जैसे ही कदम रखा उसे विमला की तेज़ आवाज सुनाई दी, वह थोडा और अंदर गयी तो उसने देखा कि विमला नरेश को उल्टा सीधा सुना रही थी और कह रही थी कि सारा दिन इधर-उधर भटकते रहते हो, घर में आते ही ये बच्चों की फौज बुला लेते हो, थोडा घर में हमारी मदद भी कर दो तो और 4 पैसे ज्यादा आ जायेंगे, पढ़ लिखकर कौन-सा तुम कलेक्टर हो जाओगे ! नरेश कह रहा था भाभी बाद में बात करें अभी बच्चे पढाई कर रहे हैं कहते-2 उसकी नज़र श्रुति पर पड़ी और वो बोला जाइये आपसे कोई मिलने आया है ....
श्रुति: भाभी दूध
विमला: अरे श्रुति तुम आज कैसे? तुम्हारी माँ बता रही थी कि तुम तो सारा दिन अपने कमरे में ही बंद रहती हो ....
श्रुति: जी भाभी ऐसा कुछ नहीं है, ऐसा कहते हुए उसने चोर नज़र से नरेश को देखा जो कि उसे देख ही रहा था, दोनों की नज़र मिली और नरेश ने सकपकाकर मुंह फेर लिया,  इन दो पलों में जाने कौन-सी पहचान हो गयी दो दिलों के बीच कि दोनों ही एक दूसरे की तिरछी नज़र के शिकार हो गए, दूध लेकर श्रुति घर आ गयी और सोचने लगी- “नरेश इतना अच्छा है पढाई में फिर क्यों भाभी उसको ताने देती रहती हैं”, उसने अपनी माँ को भी वो सब बताया जो उसने विमला के घर देखा-सुना, माँ भी कहने लगी एक तो गरीबी और एक नरेश गोद लिया हुआ बेटा, माँ-बाप तो गुजर गए अब भाभी की नज़र में कांच सा चुभता है, माँ की बात सुनकर श्रुति और ज्यादा नरेश से जुड़ सी गयी, उसका दुःख-दर्द श्रुति को अपना सा लगने लगा, तभी अंकित आ गया और माँ उसे डांटने लगी ....
माँ: क्यों रे तू कहाँ घूम रहा था? स्कूल से शिकायतें आ रही हैं पढाई-लिखाई में ध्यान नही तुम्हारा?  अंकित: (चिढ़ते हुए) क्या माँ ये मोटी कुछ भी कहती है, ऐसा नही है पर हाँ मैथ में थोडा गड़बड़ है .....
श्रुति: (अचानक ही) माँ क्यों न अंकित को पढ़ाने के लिए नरेश को बुला लें उसको भी पैसे की हेल्प हो जायेगी और ये निकम्मा भी कुछ पढ़ लेगा ....
माँ: हाँ ठीक कहा, आज ही पूछूंगी नरेश से ....
श्रुति मन ही मन खुश होते हुए अपने कमरे में चली गयी, वहां जाकर वो बस नरेश के बारे में ही सोच रही थी, “कितनी मासूमियत से भाभी की बात सुनता रहा, कितना सीधा है एक शब्द  भी पलटकर नही कहा, पर मुझे देखकर चोंक गया, भाभी को ऐसे नहीं कहना चाहिए था कितना बुरा लगा होगा उसको, मुझे नरेश को सिम्पैथी देना चाहिए पर कैसे, मेरे पास तो उसका नंबर ही नही है”, श्रुति ने फिर अचानक चहकते हुए फ़ोन उठाया और मन ही मन बोली ये फेसबुक कब काम आएगा, श्रुति झट से फेसबुक ऑन करती है और कुछ भी न देखते हुए बस सर्च में टाइप करती है नरेश सिंह, नरेश सिंह के नाम से एक लंबी सी लिस्ट सामने आ गयी, जिसमे नरेश को सर्च करते हुए उसे नरेश की प्रोफाइल मिल ही जाती है कुछ देर बाद वह नरेश को  रिक्वेस्ट भेज देती है, श्रुति रिक्वेस्ट भेजकर ऐसे खुश हो रही थी मानो कोई किला जीत लिया हो और फिर पढ़ने बैठ गयी, लेकिन अब भी ध्यान उसका फोन में ही था कि कब रिक्वेस्ट एक्सेप्ट हो और वो फटाफट उसको मेसेज करके कहे की उसने कुछ नही सुना, फिर खुद ही अपनी बेवकूफी पर हँस पड़ी कि डायरेक्ट ऐसा कहूँगी तो उसको तो पता ही चल जायेगा कि मैंने सब सुन लिया है, पर ये क्या रिक्वेस्ट गए 3 घंटे हो गए पर कोई नोटिफिकेशन नहीं आई, उसने फ़ोन चेक किया कि नेटवर्क प्रॉपर है कि नहीं पर नेटवर्क तो एकदम ठीक था, माँ के कहने पर श्रुति खाना खाने निकली पर उसको भूख ही नही थी बस दिमाग में नरेश का मासूम सा चेहरा घूम रहा था ....
2 दिन बीत गए पर श्रुति को कोई नोटिफिकेशन नही मिली नरेश की तरफ से, उधर श्रुति को लग रहा कि काश वह नरेश से अभी बात कर पाये, श्रुति ने माँ से पूछा कि नरेश से आपने अंकित के लिए बात की या नही, माँ ने कहा – हाँ हो गयी है, आज आयेगा वो अंकित को 7 बजे पढ़ाने, उससे पहले तो कुछ बच्चे उसके घर आते हैं पढ़ने, उनके बाद ही अंकित को पढ़ायेगा, माँ की बात सुनकर श्रुति फिर से उछ्ल पड़ी और एक्साइटमेंट में उसके मुंह से निकल पड़ा "WOW" ......
माँ: श्रुति तुझे क्या हुआ तुम क्यों उछल रही हो?
श्रुति: सकपकाते हुए.. अरे माँ मेरा ध्यान कहीं और था, झूठ बोलकर श्रुति ने अपनी एक्साइटमेंट को छुपा लिया .....
सात बज चुके थे, डोर बेल बजी, माँ ने दरवाजा खोला तो नरेश था, माँ ने नरेश को ड्राइंग रूम में बिठाया और बोली अंकित को बुलाती हूँ, डोर बेल की आवाज़ सुनकर श्रुति भी देखने आ गयी कि कौन है और नरेश को देखकर हाथ हिलाकर “हाय” कहा ....
नरेश: हेल्लो .....
श्रुति: हाउ आर यू
नरेश: फाइन
आगे नरेश ने कुछ न कहकर चुप रहना ही ठीक समझा, अंकित भी मैथ की किताब लेकर आ गया और नरेश उसको पढ़ाने लगा, श्रुति अपने कमरे में चली गयी और सोचने लगी यूँ तो कितना मासूम है और देखो अकड़ू कितना है ये भी नहीं पूछा कि मैं कैसी हूँ....हुंह,  3 दिन बाद जब श्रुति ने देखा की नरेश ने अब भी उसकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नहीं की थी तो उसने सोच लिया आज उसके आते ही पूछ लुंगी इतना भाव क्यों खा रहा है, 5 दिन से रिक्वेस्ट भेज रखी है 3 दिन से अंकित को पढ़ाने भी आ रहा पर रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नही किया अब तक । जैसे ही डोर बेल बजी श्रुति ने कहा मम्मी मैं देखती हूँ, श्रुति को पता था नरेश ही होगा 7 बज गए हैं, दरवाजा खुला तो नरेश ही था .....
श्रुति : हाय ...
नरेश : हेल्लो ...
श्रुति: कैसे हैं आप ....
नरेश : ठीक हूँ ..... और कुछ देर बाद .. आप कैसी हैं ....
श्रुति: मुस्कुराते हुए .. मैं भी ठीक हूँ और अब तो बहुत ज्यादा ठीक ...
नरेश: मैं समझा नहीं ....
श्रुति: जी कुछ नहीं, मैं कुछ और कह रही थी ....
नरेश: कोई बात नहीं, पढाई कैसी चल रही है आपकी?
श्रुति कुछ बोलती कि अंकित आते ही- अरे भैया इसकी पढाई पूछो मत, किताबें घोट कर पी जाती है और मुझे डाँट पड़वाती रहती है .....
श्रुति ने अंकित को आँख दिखाई घूरते हुए ...
नरेश ने वैरी गुड कहा और अंकित को पढ़ाने लगा, श्रुति आज वहीँ घूम रही थी कभी किचन में, कभी माँ के रूम में, कभी अपने रूम में, माँ फ़ोन पर मासी से बात कर रही थी इसीलिए माँ ने श्रुति से कहा- “बेटा जरा नरेश को चाय पानी पूछ लो”, श्रुति तो मानो यही चाहती हो, वो पानी लेकर नरेश को दे आई, नरेश ने थैंक यू बोला ....
अंकित का टेस्ट चल रहा है इसका एक चैप्टर पूरा हो गया है- नरेश ने कहा .....
श्रुति: अच्छा, और तुरंत बोल पड़ी- आपने मेरी फेसबुक पर रिक्वेस्ट एक्सेप्ट क्यों नही की?
नरेश: हैरान होकर.. क्या?  फेसबुक पर रिक्वेस्ट?
श्रुति: जी
नरेश: पर मुझे फेसबुक खोले कई महीने हो गए हैं, टाइम ही नहीं मिलता है ! घर, कॉलेज और ट्यूशन के बाद अपनी पढाई भी करनी पड़ती है, नरेश एक ही झटके में सब बोल गया ....
श्रुति: ओह्ह
नरेश: आप भी अपनी पढाई पर ध्यान दो, ये सब फ्री टाइम के काम हैं .....
श्रुति: हाँ, पर एक्सेप्ट तो कर लो ....
नरेश: ठीक है ...
श्रुति अपने कमरे में चली गयी, नरेश सोचता रहा ....
रात के 11 बजे श्रुति का फ़ोन बीप किया, श्रुति ने झट से चेक किया और देखा नरेश की नोटिफिकेशन है, इसके तुरंत बाद ही एक और बीप के साथ मेसेज "Welcome to the वेळा हाट"
दिखाई दिया .....
श्रुति ने मेसेज देख लिया था नोटिफिकेशन विंडो में और हंस दी " वेळा हाट"  मिस्टर अकड़ू,  सोच रही अभी रिप्लाई करूँ क्या..... अरे नहीं सोचेगा इंतज़ार ही कर रही थी सुबह करुँगी...... सुबह करुँगी तो सोचेगा सुबह-सुबह फेसबुक पर..... नहीं-नहीं कल शाम को करुँगी.... उसने 5-6 दिन लगा दिए तो मुझे भी 1-2 दिन बाद ही रिप्लाई करना चाहिए, पर ये दिमाग का फैसला था, दिल तो कह रहा था अभी जवाब दो.... लेकिन जब दिल और दिमाग की जंग छिड़ी हो तो जीत दिमाग की ही होती है...आख़िरकार श्रुति ने जवाब नहीं दिया ....
अगले दिन नरेश ने फिर मेसेज किया" क्या बात है अब रिप्लाई करने का टाइम भी नहीं है"  श्रुति को मेसेज मिला तो चहक उठी मन ही मन और कहने लगी खुद से – अब तुम वेट करो बच्चू ... और हंस दी ...
रात को श्रुति सोच ही रही थी रिप्लाई करू क्या नरेश को कि फिर से एक और मेसेज मिला "मेरा नेट का खर्च करवा दिया और अब जवाब भी नहीं" ....
ये पढ़कर तो श्रुति हैरान रह गयी, मतलब सही कह रहा था नरेश कि कई महीनो से नहीं खोला फेसबुक, शायद मेरे कहने पर ही रिचार्ज करवाया होगा नेट ...
श्रुति ने फेसबुक खोला और नरेश जी मेसेज विंडो तभी एक और मेसेज मिला "वेलकम जी"....
श्रुति: थैंक्स फॉर एक्सेप्टिंग माय फ्रेंड रिक्वेस्ट (
नरेश: माय प्लेजर जी ...
श्रुति: हाउस योर स्टडीज गोइंग?
नरेश: एकदम ठीक, हाउस अबाउट यू?
श्रुति: वैरी गुड ....
श्रुति और नरेश ने देर तक बात की और फिर “सी यू टुमारो” से बात खत्म करते हुए गुड नाईट किया ....
ये सिलसिला अब रोज आगे बढ़ने लगा था, अब सिर्फ कैज़ुअल बातचीत ही नहीं बल्कि एक दूसरे की प्रोब्लेम्स, उनसे जुड़े इमोशनस हर चीज शेयर होने लगी थी, रूटीन बन गया था ये उनका रोज का, लेकिन पढाई पर न तो श्रुति ने असर होने और न ही नरेश ने, चैटिंग के दौरान भी पढाई को लेकर उनमें खूब बाते होती थी, कुछ भी पूछना होता तो श्रुति नरेश को हक़ से कहती थी आज मुझे ये टॉपिक समझ देना और नरेश भी खूब अच्छे से समझाता था, दोनों की दोस्ती ने कब अपनी हदें तोड़कर प्यार की सल्तनत में कदम रख दिया ये उनको खुद भी मालूम नही था, रात के एक घंटे में उनका रूठना-मनाना, चिढ़ना-चिड़ाना, सब चलता था। ठीक 11 बजे दोनों ही फटाक से फेसबुक पर आ जाते थे और फिर पुरे दिन का लेखा-जोखा एक दूसरे से कहते-सुनते थे ....
आज जैसे ही 11 बजे श्रुति ने फेसबुक लोगिन किया तो देखा नरेश अभी नहीं आया है ऑनलाइन, वो उसका इंतज़ार करने लगी, 12 बज गए पर नरेश नहीं आया, श्रुति को बहुत चिंता हुई पर इंतज़ार के सिवा उसके पास कोई चारा नहीं था, उसने सोचा फोन कर लिया जाये पर फिर कुछ सोचकर उसने फोन करना ठीक नहीं समझा, अगले दिन नरेश अंकित को ट्यूशन देने भी नहीं आया तो श्रुति ने माँ से पूछा कि नरेश नही आएगा क्या आज? श्रुति की माँ ने कहा पता नहीं आज सुबह से उनका दरवाजा बंद है शायद कही बाहर गए हैं, अंकित पढाई ख़त्म करके बोला माँ डिब्बा दे दो दूध ले आता हूँ और नरेश भैया से मिल भी आता हूँ अभी उनका गेट खुला है ! माँ ने डिब्बा दे दिया, अंकित नरेश के घर गया तो विमला भाभी ने बताया कि  नरेश का एक्सीडेंट हो गया है हम तो सुबह से ही हॉस्पिटल में थे अभी आई हूँ तुम बाद में ले के जाना दूध। अंकित विमला भाभी की बात सुनके एकदम डर सा गया और बोला भाभी ऐसे कैसे, क्या हुआ नरेश भैया को?
विमला भाभी ने बताया कि उसकी बाइक और ट्रक के बीच में टक्कर हो गयी और नरेश को काफी चोट लगी है, उसे अभी तक होश भी नही आया है पैर की हड्डियां टूट गयी हैं ....
अंकित ने घर जाकर ये सब माँ और श्रुति को बताया, श्रुति चुपचाप बिना कोई प्रतिक्रिया दिए अपने रूम में चली गयी, श्रुति को विश्वाश ही नहीं हो रहा था, उसकी घबराहट एकदम बढ़ गयी, उसको अभी देखना है नरेश को पर कैसे? माँ को क्या कहेगी? और देखने भी जायेंगे तो मम्मी- पापा ही जायेंगे उसको कौन लेकर जायेगा, पता नही कितनी चोट लगी है ठीक भी है या नहीं? ये सब सोचते हुए श्रुति अपने रूम में यहाँ से वहां चक्कर काटने लगी, उसकी आँखों में आंसू थे, काफी देर बाद माँ ने आवाज़ दी की खाना खा लो तो श्रुति बाहर आई ....
माँ: अरे श्रुति ये क्या तुम्हारी आँखें सूजी हुई क्यों हैं बेटा ? क्या तुम रो रही थी?
श्रुति कुछ नहीं बोली और दौड़कर माँ के गले लग गयी और जोर-2 से रोने लगी, रट-2 पूछ रही - माँ नरेश बच तो जायेगा ना? वो ठीक तो हो जायेगा? माँ मुझे देखने जाना है नरेश को,  माँ श्रुति को इस हाल में देखकर अचंभित रह गयी, ये इस लड़की को हो क्या गया है, हरदम दांत निकालने वाली आज इस तरह से नरेश की खबर से इतनी परेशां कैसे है ......
माँ: हाँ मेरा बच्चा, कुछ नही होगा नरेश को और हम जायेंगे कल तुम फ़िक्र नही करो, वो ठीक हो जायेगा, तुम खाना खाओ और सो जाओ पढाई कल कर लेना ....
ऐसा कहकर माँ खाना परोसने लगी पर श्रुति ने खाना खाने से मना कर दिया और अपने रूम में चली गयी ये बोलकर कि मुझे सोना है ....
माँ सोचने लगी कितना नरम दिल है मेरी बेटी का, किसी का भी दुःख-दर्द इसे विचलित कर देता है, कितनी ज्यादा भावुक है मेरी बेटी ....
श्रुति सोने का कहकर आ गयी थी रूम में पर उसको सोना नहीं था, वो तो नरेश के आसपास रहना चाहती थी उससे बात करना चाहती थी, पर नरेश तो हॉस्पिटल में बेहोश पड़ा था, उसने फेसबुक खोला और मेसेज पढ़ने लगी, नरेश की भेजी हुयी तस्वीरें देखने लगी, पुरानी सारी चैट पढ़ने लगी, उसको महसूस होने लगा कि वो अभी भी उससे बात कर रही है, पढ़ते-2 नरेश के जन्मदिन वाले दिन की चैट आ गयी थी, उसी दिन उसने नरेश को उसके बर्थडे गिफ्ट में दिया था अपना दिल, और उसी दिन नरेश ने भी अपने प्यार का इजहार किया था, कुछ इस तरह ...
श्रुति: कैसे हो बर्थडे बॉय?
नरेश: मैं ठीक नहीं हूँ?
श्रुति: पर क्यों?
नरेश: क्योंकि कोई है जिसने मुझे अभी तक बर्थडे गिफ्ट नहीं दिया है और ऐसा कहकर एंग्री इमोजी भी चिपका दिया ....
श्रुति: हा हा हा ...,ये तो वाकई में बहुत ट्रेजेडी है, पर है कौन वो जिसने तुम्हें गिफ्ट नहीं दिया?
नरेश: वही खूबसूरत लड़की जो मेरी ट्रेजेडी पर दांत फाड़कर हंस रही है ....
श्रुति: अरे! मैं तो मजाक कर रही थी (
नरेश: पर मैं तुम्हारी बात कहाँ कर रहा हूँ, मैं तो खूबसूरत लड़की की बात कर रहा हूँ ...(
श्रुति: ओके गुस्से वाले इमोजी के साथ ....
नरेश: पर तुम गिफ्ट दे दो तो वो खूबसूरत लड़की बन सकती हो (
श्रुति: अच्छा, क्या गिफ्ट चाहिए?
नरेश: जो जिंदगी भर मेरे साथ मेरे दिल में रहे, तुम्हारा यस और तुम्हारा दिल ....
श्रुति: सोच लो, मुझे झेलना थोडा मुश्किल होगा ....
नरेश: जब विमला भाभी के ताने झेल सकता हूँ तो तुम्हारा प्यार क्यों नहीं :p
श्रुति: हा हा हा हा हा .... सो फनी ...
नरेश: इट्स नॉट फनी, आई ऍम सीरियस ....
श्रुति: अच्छा सीरियस हो तो हॉस्पिटल में होना चाहिए था, तुम तो अच्छे-भले चैट कर रहे....  नरेश: स्टॉप इट श्रुति, आई ऍम रियली सीरियस, मुझे जवाब चाहिए तुम्हारा, क्या तुम्हें मेरा दिल मेरा प्यार मंजूर है? नहीं भी है तो कोई बात नहीं तुम ना कह सकती हो ....
श्रुति: क्या तुम्हे जवाब अब तक नही पता? हर रोज 11 से 12 जो हम बात करते हैं तो ठीक 12 बजे बाद ही मेरा इंतज़ार शुरू हो जाता है अगले दिन के लिए और आजकल में दूध लेने जाती हूँ तुम्हारे घर पहले कभी देखा था क्या क्योंकि मुझे तुम्हे देखने का मन होता है, तुम्हारे चक्कर में मैंने किचन का रास्ता देख लिया और चाय बनानी सीख ली, तुम्हे याद तो होगी ना पहले दिन की चाय मेरे हाथ की जिसमें चीनी जी जगह नमक था, फिर मैंने सीखी सिर्फ तुम्हारे लिए... नरेश: हां, पर एक बार कह दो, मैं कब से सुनना चाहता हूँ ....
श्रुति: क्या कह दूँ, कितना तो कह दिया ....
नरेश: यही कि "You love me" ...
श्रुति: Ok.... You love me...
नरेश : Yes .. I love you so much. Do you?
श्रुति: Yes... Me too love you so much!!
नरेश: It’s  awesome day of my life shruti.... thank you so much ....
ये सब पढ़ते-2 श्रुति को महसूस हो रहा था कि नरेश उसके पास ही है, उसके साथ है, वो पल वो जी रही है, श्रुति आँखें बंद करके सारी कन्वर्सेशन को फिर से मन ही मन देखने लगी, उसमें अब श्रुति नही बल्कि नरेश रहने लगा था, तभी उसको लगा की नरेश उसके पास बैठा है, नरेश ने श्रुति का हाथ अपने हाथ में लिया और पूछा- तुमने खाना क्यों नहीं खाया आज?
श्रुति: तुम कहाँ चले गए थे .. मैं कितना डर गयी थी ....
नरेश: पर मैं तो यहीं था तुम्हारे पास, तुझमे रहता हूँ मैं, तुमसे दूर अब कहाँ रह पाता हूँ ...
श्रुति: तुम्हे ज्यादा चोट लगी है क्या?
नरेश: नहीं, जिस दिन तुम्हे देखा था उस दिन ज्यादा लगी थी, जब तक तुमने नहीं अपनाया था दर्द उठता था ये तो मामूली चोट है, ये सब छोडो और खाना खाओ, नरेश श्रुति को जो टिफिन वो लाया था उससे अपने साथ खाना खिलाने लगा, श्रुति भी खा रही है कभी नरेश को खिला रही है .....
फिर नरेश कहता है देखो मुझे तुम्हारा रिजल्ट 99% चाहिए और फिर तुम डॉक्टरी पढ़ना, मेरे ये घाव हैं न ये तुम ही ठीक करना, तब तक मैं यूँ ही तड़पता रहूँगा, और वादा करो मुझे भूल नही जाओगी न, श्रुति ने नरेश के हाथ में अपना हाथ रखते हुए कहा -पक्का वादा, नरेश उठ खड़ा हुआ और कहने लगा- फिर ठीक है, अब मैं चलता हूँ, मैं इंतज़ार करूँगा तुम्हारा, तुम मुझसे मिलने आना डॉक्टर की ड्रेस में, बस तुम जी-जान लगाकर पढ़ना, मुझे बिलकुल याद मत करना, मिलेंगे हम एक दिन, ऐसा कहकर नरेश चल पड़ा और श्रुति रोती रह गयी, तभी सुबह 6 बजे का अलार्म बज उठा और श्रुति की आँख खुली गयी, उसने आसपास देखा, अपने रूम में इधर-उधर देखा पर नरेश कहीं नहीं था, ओह्ह ये तो सपना था, नरेश कैसे आएगा मिलने वो तो हॉस्पिटल में है, श्रुति को अब सपने में कही नरेश की एक-एक बात याद आ रही थी, मुझे मिस नहीं करना, जी-जान लगाकर पढ़ना और डॉक्टर बनना, और उसके आखिरी शब्द" हम मिलेंगे एक दिन" ....
तभी माँ की आवाज़ आई- श्रुति उठ गयी क्या बेटा, हड़बड़ाते हुए श्रुति बाहर निकली तो माँ ने कहा बेटा मैं विमला के घर जा रही हूँ नरेश नहीं रहा, रात को ही उसकी डैथ हो गयी, बस बॉडी को लेकर कभी भी आते ही होंगे, श्रुति फटी आँखों से पत्थर की बुत बनी मम्मी की बात सुन रही थी, श्रुति... श्रुति... श्रुति तुम सुन रही हो ना माँ ने झकझोरते हुए कहा तो बस श्रुति कुछ कह न सकी और बस वो अपने सपने को ही याद करती अपने कमरे में चली गयी ......!!!!
समाप्त।।।.........प्रवीन मलिक 

पधारने के लिए धन्यवाद