बुढ़ापा आया / कष्ट साथ में लाया / कैसी विपदा
द्रवित मन
टूट चुके हौसले
जर्जर तन
आखिरी क्षण
इकलौती चाहत
बेटे की गोद
टूटा है दिल
अवहेलना पाई
बच्चों से मिल
लुटा जीवन
संवारा है भविष्य
प्रिय संतान
मोह ममता
अपने ही खून से
पड़ी मंहगी
घर का कोना
मिलना है दूभर
उठा बिछौना
छलकी आँखें
कचोट रहा मन
बुढ़ापा बैरी
नींद लुटाई
लाडले का भविष्य
सवांरने को
बुढ़ापा आया
कष्ट साथ में लाया
कैसी विपदा
सारी जिंदगी
प्यार-प्रेम लुटाया
कुछ न पाया
हमारा कल
त्याग का है गवाह
सुन ले आज
प्रवीन मलिक