तुमसे मिले और खुद से पराये हो गये
तुम्हारे अलावा बाकी सब कुछ भूल गये !!
आइने में भी अक्स तेरा ही देखने लगे
जागती आँखों से हसीन ख्वाब बुनने लगे !!
सबके बीच रहकर भी सबसे बेखबर हो गये
तेरी यादों और दिलकश बातों में खोकर रह गये !!
कभी बहुत बकबक किया करते थे बेवजह ही
अब अचानक ही जाने क्यूँ गुमसुम से हो गये !!
तुम्हारे बिना सतरंगी रंग फीके से लगने लगे
महफिलों से हम अपनी नजरें बचाकर चलने लगे !!
नींद , चैन , भूख , प्यास से बेखबर होकर
तेरे ही मीठे ख्वाबों में दिन-रात हम रहने लगे !!
प्रवीन मलिक