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Monday 25 March 2013

दिल और दर्द का रिश्ता है गहरा ....



जब दिल में दर्द ही दर्द ठहरा हो ,

दरिया आँखों से बह रहा हो
होंठों पर चुप्पी का पहरा हो
तब न तुम आवाज़ देना मुझे
क्यूंकि तब मैं कुछ न कह पाऊँगी
कुछ समझाओगे तो न मैं समझ पाऊँगी !


जब से तुम संग दिल जोड़ लिया ,
साथ तेरे ही जीना मरना तब से ही ये प्रण लिया !
तेरे प्यार ने ऐसा दिल में घर किया,
कुछ और न देखा न समझा जाने ये क्यों किया !


तुम्हारे अलावा कुछ और दिखा नहीं ,
दिखता भी कैसे, आँखे जो बंद की फिर खोली नहीं !
चलते गए साथ तेरे पीछे मुड़कर देखा नहीं ,
जब देखा तो फिर कोई , और अपना दिखा नहीं !


आज रंज है की तू भी अब अपना लगता नहीं ,
साथ तो तू मेरे है , पर साथ दिखता नहीं !
तुम भी वही हो , और मैं भी वही हूँ ,
फिर पहले जैसा कुछ क्यूँ लगता नहीं !


समय बदल जाता है ये तो हमें पता था ,
पर इंसान भी बदल जाते हैं ये भी अब जान लिया !
मैं जो एक बार खो गयी फिर न मुझे ढूंड पाओगे ,
हर पल रोओगे , याद करोगे और फिर पछताओगे !
अभी समय है एक आवाज़ लगा देना ,
दौड़ कर जो वापस ना आई तो फिर भुला देना !

8 comments:

  1. प्रेम की अभिव्यक्ति ...

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  2. सुंदर भावपूर्ण सहजता से कही गयी गहरी बात
    बहुत बहुत बधाई
    होली की शुभकामनायें

    aagrah hai mere blog main bhi padharen
    aabhar


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  3. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ......
    आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  4. मन के उद्गार धीरे धीरे कविता का रूप ले रहे हैं ...

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  5. बहुत कविता...
    होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

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  6. बस आप के लिए मेरा ये शेर-

    उस डगर पर चलो तो हमें भी पूछ लेना
    हम रस्ते के पत्थर है कभी चोट नहीं खाते.



    मेरे ब्लॉग पर भी आइये ..अच्छा लगे तो ज्वाइन भी कीजिये
    पधारिये :  किसान और सियासत

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  7. गहन अनुभूति
    जीवंत रचना
    सुंदर अहसास
    बहुत बहुत बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
    मुझे ख़ुशी होगी

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  8. बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने

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पधारने के लिए धन्यवाद