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Tuesday 6 May 2014

हाइकु-- मासूम चंचल बेटियाँ

कुछ हाइकु मासूम चंचल बेटियों के लिए ...

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सुन नादान
ईश्वर वरदान
बेटी संतान

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छू लें आसमाँ
करें नाम रौशन
दें, जो हौसला

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एक ही चाह
नापे धरा गगन
बेटी शगुन

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नाजों से पली
चढ़ी दहेज बलि
मासूम कलि

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नाजुक कंधें
ढ़ेर जिम्मेदारियाँ
ढ़ोती बेटियाँ

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प्रवीन मलिक
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5 comments:

  1. बेटी तो शगुन होती ही है ... वो शान होती है घर की ...
    भावपूर्ण हाइकू हैं सभी ...

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  2. बेटियाँ ही आँगन की चहक हैं !

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  3. सादर आभार मेरी रचना को बुलेटिन में शामिल करने के लिए ..

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पधारने के लिए धन्यवाद