माथे पे जिसके मोर पंख सजे
होंठों पर जिसके सजती है मुरलिया
उंगली पर जिसके चक्र है घूमता
कोई और नहीं वो है मेरा साँवरिया.....
राधा जिसकी हुई प्रेम दिवानी
मुरली सुन दौड़ी आती थी गोपियाँ
प्रेम में उसके मीरा पी गई विष-प्याला
कोई और नहीं वो है मेरा मुरलीवाला ......
मटकियाँ तोड़ता माखन है चोरता
मैया जो डाँटे फिर लुकछुप है दौड़ता
सुदामा संग खेलता नटखट गोपाला
कोई और नहीं वो है मेरा कृष्ण काला......
गीता का जिसने उपदेश दिया था
कंस मामा का उसने वध किया था
राक्षसी पूतना भी जिसने थी मारी
कोई और नहीं वो है मेरा बांके बिहारी ........
प्रवीन मलिक .... सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !!!!!