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Saturday 8 June 2013

जिन्दगी की किताब के पन्ने......






एक दिन यूँही हम अपनी

जिंदगी की किताब के पन्ने

पलटने लगे और देखने लगे

क्या देखा हमने पुराने पन्ने

कुछ तो आज तक महक रहे थे

लेकिन कुछ पन्ने जिंदगी की किताब के

मटमैले से थे कुछ सील से गए थे

जो पन्ने महक रहे थे वो तो

उस समय बड़े कष्ट से लिखे थे

शायद इसीलिए आज तक महक रहे थे

तब उन पन्नो को लिखते समय

अपार कष्ट और दुःख से गुजरे थे हम

लेकिन जो पन्ने ख़ुशी से और अरमानो से

लिखे थे आज वही सीले से क्यूँ हैं

क्यूंकि जो पन्ने कष्ट से लिखे थे

वो दुःख के पल थे जो आज महक दे रहे हैं

और जो पन्ने हमने ख़ुशी से लिखे थे

वो आज सीलन से इसीलिए भरे हैं

क्यूंकि उनको लिखते समय हमने

सिर्फ ख़ुशी का अहसास किया

और ख़ुशी का अहसास इतना हल्का

की बस बीत गयी सो बात गयी

लेकिन गम का अहसास इतना भारी

की आज भी वो दिन

अपनी अहमियत जताता है ……

आज उन पन्नो से खुशबु आ रही है

कल जब हम अपनी किताब के पन्ने

फिर से पलटेंगे तो आज जो पन्ने

हम ग़मगीन होकर लिख रहे हैं

वो महकते हुए ही नज़र आएंगे …

क्यूंकि बीता हुआ कल हमेशा

सुखद ही लगता है चाहे कैसा भी गुजरा हो ….



***************** प्रवीन मलिक *****
*********

8 comments:

  1. अच्छी अभिव्यक्ति.. !! सच कहा गम का अहसास बहुत भारी जो बाद तक अहमियत रखता है...शुभकामना !!

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  2. वाह क्या लिख्खा है आपने वाह.....्वो किताबो के पन्नो से हमेशा खूश्बु आयेगि..सहि कहा आपने.....वो अहेसास कभी खत्म नहिं होगा

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  3. भीनी यादों से तर...बहुत सुन्दर.

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  4. बहुत ही बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति,आभार।

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  5. ये सच है बीता पल अच्छा ही लगता है ... अतीत की यादें गुदगुदाती हैं ...
    फिर चाहवे वो कितनी भी दुखद हों ... भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....

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  6. सुख और दुःख को परिभाषित करती
    सुंदर रचना
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर

    आग्रह है- पापा ---------

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  7. बहुत सुंदर, आभार

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पधारने के लिए धन्यवाद