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Wednesday 30 April 2014

वृधावस्था पर कुछ हाइकू




बुढ़ापा आया / कष्ट साथ में लाया / कैसी विपदा

द्रवित मन
टूट चुके हौसले
जर्जर तन

आखिरी क्षण
इकलौती चाहत
बेटे की गोद

टूटा है दिल
अवहेलना पाई
बच्चों से मिल

लुटा जीवन
संवारा है भविष्य
प्रिय संतान

मोह ममता
अपने ही खून से
पड़ी मंहगी

घर का कोना
मिलना है दूभर
उठा बिछौना

छलकी आँखें
कचोट रहा मन
बुढ़ापा बैरी

नींद लुटाई
लाडले का भविष्य
सवांरने को

बुढ़ापा आया
कष्ट साथ में लाया
कैसी विपदा

सारी जिंदगी
प्यार-प्रेम लुटाया
कुछ न पाया

हमारा कल
त्याग का है गवाह
सुन ले आज



प्रवीन मलिक

11 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01-05-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
    आभार

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    1. आपका सादर धन्यवाद दिलबाग विर्क जी मेरी रचना को सम्मान देने के लिए ... आभार

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  2. एक कटु सत्य बयान करते प्रभावी हाईकू ! शुभकामनायें !

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    1. साधना वैद जी आपका तहेदिल से आभार कि आपने रचना को पढ़ा और सराहा ...

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  3. waah.waah..katu kintu satya..behad kamyab panktiyan..bahut bahut badhai.
    Sambhvtah pahli baar aapke blog par aana hua hai..bahut achha laga..koshish rahegi ki bhavishya men bhi aapki rachnaon ka aanand leta rahu..bahut abhar.

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  4. dil chhune wale haiku, ant satik

    shubhkamnayen

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  5. सत्य को बयाँ करते हाइकू।

    कुछ हम झुकें
    कुछ वे रुकें
    तो हो समझौता।

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  6. कटु सत्य बयान करते प्रभावी हाईकू

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  7. आखिरी क्षण
    इकलौती चाहत
    बेटे की गोद............सभी हाइकु मार्मिक !!

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पधारने के लिए धन्यवाद