आज दशहरा है और सब लोग बड़े उत्साह के साथ इस त्यौहार को मानते हैं . दशहरा क्यों मनाया जाता है हम सब जानते हैं . दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत , असत्य पर सत्य की जीत आदि की खुशी के कारण हम इस त्यौहार को मानते हैं . इस दिन बुराई रुपी रावण का अंत अच्छाई रुपी राम के द्वारा किया गया था तो हम इस दिन को विजय दशमी के रूप में मानते हैं . रावण अत्यंत ही विद्वान पंडित था लेकिन अपने अहंकार के कारन उसको आज भी बुराई के रूप में ही याद किया जाता हैं कोई उसकी पूजा नहीं करता सब उसकी भर्त्सना ही करते हैं क्यूंकि अपने अहंकार के कारण उसने ज्ञान रुपी सीता माता का अपहरण किया और अपने हठ के कारण राम के द्वारा मारा गया …..
उस रावण का अंत तो हो गया और उसकी खुशी में हम ये त्यौहार मनाने लग गए. लेकिन वो सब बुराइयाँ आज भी विदमान हैं . आज भी उन बुराइयों को देखा जा सकता है .जो की हम सब में कहीं न कहीं पाई जाती हैं . अगर हम इस त्यौहार को मानते हैं तो हमें अपने अंदर की इस बुराइयों को भी समाप्त कर देना चाहिए तभी इस त्यौहार का महत्व सफल होगा ……..
१.अहंकार :- मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी उसका अपना अहंकार होता है.. स्वाभिमान होना अच्छी बात है पर अगर अहंकारी हैं तो बहुत ही बड़ी कमजोरी बन जाती है. अतः हमें अहंकार रुपी बुराई का परित्याग करके एक अच्छा इन्सान बनने की कोशिस करनी चाहिए…..
२. क्रोध :- मनुष्य के अंदर दूसरा बड़ा रावण है उसका अपना क्रोध .. क्रोध इंसान को जला देता है . क्रोध के कारण हम सही और गलत का फैसला नहीं कर पाते हैं जिसके कारण गलतियों पे गलतियाँ करते जाते हैं अतः रावण रुपी क्रोध को भी आज के दिन खत्म करने का प्रयास करना चाहिए …..
३ . दुर्व्यसन :- मनुष्य के अंदर बहुत सरे दुर्व्यसन होते हैं जैसे की धुम्रपान करना , झूठ बोलना, शराब पीना, मारना- पीटना , आदि आदि … अगर हम इन सब दुर्व्यसनो से दूर रहे तो काफी हद तक अछे इंसान कहला सकते हैं अतः आज के दिन हम सबको ये शपथ लेनी चाहिए की हम इन सब दुर्व्यसनो से दूर रहेंगे और अपने आस पास के लोगो को भी दूर रहने की सलाह देंगे ….
४ .आलस्य :- मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य है . आलस्य से दूर रहकर भरपूर मेहनत करनी चाहिए इससे समाज में रुतबा भी होगा और सुख सुविधाए भी . मेहनत करके खायेंगे तो किसी की कभी नहीं सुननी पड़ेगी . स्वाभिमान बरक़रार रहेगा.
५.कटु वचन:- मनुष्य जब क्रोधित होता है तो न जाने क्या-२ बोल जाता है . तब उसको अहसास नहीं होता की उसके द्वारा बोले गए कटु वचन किसी को कितना आहत कर जाते हैं और उसकी अपनी इमेज भी ख़राब हो जाती है ..अतः किसी को कभी भी कटु वचन नहीं बोलने चाहिए…
६.विवेकहीनता :- मनुष्य कभी -२ अपना विवेक खो देता है जिसके कारन वो बहुत सी भूल कर जाता है हम सब को इन्सान रुपी जन्म मिला है ताकि हम सब सोच सके और फिर कोई निर्णय ले किसी भी परिस्थिति में … अतः विवेक को बनाये रखे …
७.अज्ञान :- अज्ञान एक ऐसी बुराई है की उसके कारन ही हम वो कर जाते हैं जो की आगे चलकर हमें नुक्सान देता है .. अतः हमें अपनी अज्ञानता को दूर करना चाहिए … ज्ञान अर्जित करने कि कोई उम्र नहीं होती मनुष्य हर पल ज्ञान अर्जित करता है और मृत्यु पर्यंत करता रहता है .. अतः ज्ञानशील बने ..
८.जलन:- आज सब एक ही वजह से दुखी रहते हैं की मेरा पडोसी, मेरा रिश्तेदार आदि इतना सुखी क्यूँ है .. अरे आप अपने सुखो को देखिये.. दुसरो के सुखो से अपने को दुखी कर लेते हैं किसके कारन जलन के कारन … अतः जलन को अपने करीब भी नहीं आने देना चाहिए ….
९.डर :- डर एक ऐसी बुराई है जो अगर आप पर हावी हो गयी तो आपके लिए सही नहीं है . किसी भी प्रकार के डर को अपने पर हावी नहीं होने देना चाहिए .. क्यूंकि कहा गया है कि डर के आगे जीत है …..
१०. असफलता :- सफलता असफलता तो इंसान के साथ जुडी हुयी होती हैं कभी कोई काम सफल हो जाता है तो कभी कोई असफल भी हो जाता है लेकिन असफलता को अपने पर हावी ना होने दे … क्यूंकि अगर आप काम कर रहे हैं तो कभी – २ किसी छोटी मोती गलती के कारन असफल हो जाता है लेकिन फिर से प्रयतन करके सफल भी तो किया जा सकता है …..
उस रावण का अंत तो हो गया और उसकी खुशी में हम ये त्यौहार मनाने लग गए. लेकिन वो सब बुराइयाँ आज भी विदमान हैं . आज भी उन बुराइयों को देखा जा सकता है .जो की हम सब में कहीं न कहीं पाई जाती हैं . अगर हम इस त्यौहार को मानते हैं तो हमें अपने अंदर की इस बुराइयों को भी समाप्त कर देना चाहिए तभी इस त्यौहार का महत्व सफल होगा ……..
१.अहंकार :- मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी उसका अपना अहंकार होता है.. स्वाभिमान होना अच्छी बात है पर अगर अहंकारी हैं तो बहुत ही बड़ी कमजोरी बन जाती है. अतः हमें अहंकार रुपी बुराई का परित्याग करके एक अच्छा इन्सान बनने की कोशिस करनी चाहिए…..
२. क्रोध :- मनुष्य के अंदर दूसरा बड़ा रावण है उसका अपना क्रोध .. क्रोध इंसान को जला देता है . क्रोध के कारण हम सही और गलत का फैसला नहीं कर पाते हैं जिसके कारण गलतियों पे गलतियाँ करते जाते हैं अतः रावण रुपी क्रोध को भी आज के दिन खत्म करने का प्रयास करना चाहिए …..
३ . दुर्व्यसन :- मनुष्य के अंदर बहुत सरे दुर्व्यसन होते हैं जैसे की धुम्रपान करना , झूठ बोलना, शराब पीना, मारना- पीटना , आदि आदि … अगर हम इन सब दुर्व्यसनो से दूर रहे तो काफी हद तक अछे इंसान कहला सकते हैं अतः आज के दिन हम सबको ये शपथ लेनी चाहिए की हम इन सब दुर्व्यसनो से दूर रहेंगे और अपने आस पास के लोगो को भी दूर रहने की सलाह देंगे ….
४ .आलस्य :- मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य है . आलस्य से दूर रहकर भरपूर मेहनत करनी चाहिए इससे समाज में रुतबा भी होगा और सुख सुविधाए भी . मेहनत करके खायेंगे तो किसी की कभी नहीं सुननी पड़ेगी . स्वाभिमान बरक़रार रहेगा.
५.कटु वचन:- मनुष्य जब क्रोधित होता है तो न जाने क्या-२ बोल जाता है . तब उसको अहसास नहीं होता की उसके द्वारा बोले गए कटु वचन किसी को कितना आहत कर जाते हैं और उसकी अपनी इमेज भी ख़राब हो जाती है ..अतः किसी को कभी भी कटु वचन नहीं बोलने चाहिए…
६.विवेकहीनता :- मनुष्य कभी -२ अपना विवेक खो देता है जिसके कारन वो बहुत सी भूल कर जाता है हम सब को इन्सान रुपी जन्म मिला है ताकि हम सब सोच सके और फिर कोई निर्णय ले किसी भी परिस्थिति में … अतः विवेक को बनाये रखे …
७.अज्ञान :- अज्ञान एक ऐसी बुराई है की उसके कारन ही हम वो कर जाते हैं जो की आगे चलकर हमें नुक्सान देता है .. अतः हमें अपनी अज्ञानता को दूर करना चाहिए … ज्ञान अर्जित करने कि कोई उम्र नहीं होती मनुष्य हर पल ज्ञान अर्जित करता है और मृत्यु पर्यंत करता रहता है .. अतः ज्ञानशील बने ..
८.जलन:- आज सब एक ही वजह से दुखी रहते हैं की मेरा पडोसी, मेरा रिश्तेदार आदि इतना सुखी क्यूँ है .. अरे आप अपने सुखो को देखिये.. दुसरो के सुखो से अपने को दुखी कर लेते हैं किसके कारन जलन के कारन … अतः जलन को अपने करीब भी नहीं आने देना चाहिए ….
९.डर :- डर एक ऐसी बुराई है जो अगर आप पर हावी हो गयी तो आपके लिए सही नहीं है . किसी भी प्रकार के डर को अपने पर हावी नहीं होने देना चाहिए .. क्यूंकि कहा गया है कि डर के आगे जीत है …..
१०. असफलता :- सफलता असफलता तो इंसान के साथ जुडी हुयी होती हैं कभी कोई काम सफल हो जाता है तो कभी कोई असफल भी हो जाता है लेकिन असफलता को अपने पर हावी ना होने दे … क्यूंकि अगर आप काम कर रहे हैं तो कभी – २ किसी छोटी मोती गलती के कारन असफल हो जाता है लेकिन फिर से प्रयतन करके सफल भी तो किया जा सकता है …..
ये सब कुछ कमियां कहिये या फिर बुराइयाँ .. होती हैं हम सबके अंदर . अगर हम इन सब से दूर होकर एक अच्छा इन्सान बनने कि कोशिश करे तो असम्भव कुछ भी नहीं है .. अतः आज दशहरे के पवन अवसर पर आओ अपनी इन सब बुराइयों को छोड़कर अच्छाइयों कि तरफ अग्रसर हो जाये. और दशहरे के त्यौहार को और भी महत्वपूर्ण बना दे … हमारे अंदर काफी बुराइयाँ पर इन दस बुराइयों पर आज दशहरे के दिन विजय पा लें …..
धयवाद …
धयवाद …
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन काम बहुत हैं हाथ बटाओ अल्ला मियाँ - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसार्थक लेख ।
ReplyDeleteमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
मन की बुराइयों को मारना ही रावण को मारना है ...
ReplyDeleteदशहरा की मंगल कामनाएं ...
बहुत सुन्दर .
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