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Saturday, 28 September 2013

खुद से पराये हो गये .....








तुमसे मिले और खुद से पराये हो गये
तुम्हारे अलावा बाकी सब कुछ भूल गये !!

आइने में भी अक्स तेरा ही देखने लगे
जागती आँखों से हसीन ख्वाब बुनने लगे !!

सबके बीच रहकर भी सबसे बेखबर हो गये
तेरी यादों और दिलकश बातों में खोकर रह गये !!

कभी बहुत बकबक किया करते थे बेवजह ही
अब अचानक ही जाने क्यूँ गुमसुम से हो गये !!

तुम्हारे बिना सतरंगी रंग फीके से लगने  लगे
महफिलों से हम अपनी नजरें बचाकर चलने लगे !!

नींद , चैन , भूख , प्यास से बेखबर होकर
तेरे ही मीठे ख्वाबों में दिन-रात हम रहने लगे !!

                    प्रवीन मलिक

16 comments:

  1. सबके बीच रहकर भी सबसे बेखबर हो गये
    तेरी यादों और दिलकश बातों में खोकर रह गये !!... बहुत खूब!
    आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल रविवार, दिनांक 29 सितम्बर 2013, को ब्लॉग प्रसारण पर भी लिंक की गई है , कृपया पधारें , औरों को भी पढ़ें और सराहें,
    साभार सूचनार्थ

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  2. बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।

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    1. धन्यवाद संजय जी रचना पसंद करने के लिए...

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  3. Replies
    1. धन्यवाद प्रदीप साहनी जी ...

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  4. सबके बीच रहकर भी सबसे बेखबर हो गये
    तेरी यादों और दिलकश बातों में खोकर रह गये !

    बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,धन्यबाद।

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    1. सादर धन्यवाद राजेन्द्र जी ...

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    2. सादर धन्यवाद राजेन्द्र जी ...

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  5. शुक्रिया प्रदीप साहनी जी ... जरुर फोलो करेंगें !

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  6. शुक्रिया प्रदीप साहनी जी ... जरुर फोलो करेंगें !

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  7. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 10 दिसंबर 2015 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

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  8. सचमुच ! दिल की आवाज़ बेहद सार्थक नाम है आपके ब्लॉग का ! सुन्दर और भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत बधाई...

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पधारने के लिए धन्यवाद