आइये आपका स्वागत है

Saturday, 16 November 2013

इतना क्यूँ तुम मुस्करा रही हो ......



बहुत दिन से कुछ लिख नहीं पायी आज कोशिश की है कुछ लिखने की .... देखिये जरा !!


बेखबर सी तुम जो मुस्करा रही हो ,
जाने इतना तुम क्यूँ शरमा रही हो !
क्या राज छुपा रखा है इन आँखों में ,
जो इस तरह नजरें तुम झुका रही हो !!

किसकी यादों को दिल में छुपा रही हो ,
किसके सपने आँखों मे सजा रही हो !
कौन है वो खुशनसीब सा इस जहाँ में ,
जिसके लिए मंद-मंद मुस्करा रही हो !!


**********प्रवीन मलिक**********

4 comments:

  1. वाह !! बहुत सुंदर... पुरे दिल से कविता निकली है.. प्रवीण

    ReplyDelete
  2. वाह ... चंद लाइनें और दिल की बेबसी का लेखा जोखा ...

    ReplyDelete

पधारने के लिए धन्यवाद