तने खड़े हैं
गुमसुम बादल
क्यूँ न बरसें
गर्मी से तप्त
भू पर जीव-जंतु
आस लगाये
जमीं का प्यार
समझें न बादल
हुए निष्ठुर
रोते किसान
बिन पानी फसल
न हो बुआई
बच्चे व्याकुल
गर्मी करे बेचैन
खुले हैं स्कूल
*********प्रवीन मलिक**********
गुमसुम बादल
क्यूँ न बरसें
गर्मी से तप्त
भू पर जीव-जंतु
आस लगाये
जमीं का प्यार
समझें न बादल
हुए निष्ठुर
रोते किसान
बिन पानी फसल
न हो बुआई
बच्चे व्याकुल
गर्मी करे बेचैन
खुले हैं स्कूल
*********प्रवीन मलिक**********
बरखा के सभी हाइकू लाजवाब ...
ReplyDeleteबेहतरीन हाइकू ....
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 28 . 7 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक हाइकु… बधाई स्वीकारें
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