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Monday, 22 April 2013

पागल वो या फिर वो शरीफ जादे या फिर तमाशा देखने वाले (आखिर कौन ???)

वो लड़की जो हर रोज़ 
बस स्टैंड या सड़क पर 
मैले -कुचैले कपडे पहने 
कहीं कहीं से फटे हुए 
जिनसे मुस्किल से 
बदन भी न ढक रहा हो 
पागलो की तरह इधर-उधर 
हर किसी के पीछे दौड़ते हुए 
कभी खाने को मांगती है 
तो कभी चाय के लिए कहती है 
बाबु जी चाय पिला दो एक कप 
रोज मैं ऑफिस जाते हुए 
उसे वहीँ पर यहीं कहीं घूमते हुए 
देखती हूँ ....

आज अचानक मैं देखती हूँ 
कुछ शरीफ जादे दिमागवाले 
लड़के बाइक पर सवार 
उस पागल लड़की के 
चारो तरफ चक्कर लगा रहे 
और वो पागल लड़की खुद को 
बचाने के लिए पत्थर उठा कर 
उन पर फेंकने के अंदाज में 
इधर - उधर दौड़ रही लेकिन 
उसने मारा नहीं उनको वो पत्थर 
इस पर भी वो शरीफ जादे 
अपनी हरकतों से बाज नहीं आये 
और उस लड़की को लगभग नोचते से
बालों से पकड़ते हुए बाइक के पीछे 
घसीटे हुए वहीँ पर चक्कर लगा रहे 
बाकि सब लोग भी इस दृश्य को 
देख रहे और कह रहे की पागल है 
जरुर उसने कुछ किया होगा 
कोई उसको बचा नहीं रहा 
वो चिल्ला रही , हाथ पैर छिल  गए उसके 
सड़क पर घसीटने के कारन 
माथे से खून आ रहा था शायद लग गया होगा 
तभी उसने एक बड़ा सा पत्थर उठाया 
और दे मारा बाइक सवार को ..
बस फिर क्या था शरीफ जादे 
भड़क गए और लगभग गुस्से में 
तमतमाते हुए उसकी तरफ बढे 
और गलियाँ देते हुए ...
कमिनी पागल कहीं की आने- जाने 
वालो को निशाना बनाती  है पत्थरों का 
रुक जा ठहर अभी सबक सिखाते  हैं तुझे 
सब लोग बुत बने देख रहे तमाशा 
कोई भी आगे बढ़कर मदद करने को तैयार नहीं 
मैंने भी कोई मदद करने की जहमत नहीं ली ...

मैंने भी अपनी बस आने तक नज़ारा देखा 
और फिर बस में बैठकर ऑफिस का रुख किया 
लेकिन रास्ते  भर सोचती रही 
आखिर पागल कौन ???
वो लड़की या फिर वो शरीफ जादे 
या फिर वो जो लोग तमाशा देख रहे थे ...
लेकिन अब कौन झंझट में पड़े 
यहाँ तो ऐसा होता ही रहता है 
बस अपने रास्ते आओ अपने रास्ते  जाओ 
न किसी से पंगा लो क्यूंकि इसके लिए टाइम भी नहीं है 
और फिर हम शरीफ लोग क्यूँ 
इस तरह के चक्करों में पड़ें .....

8 comments:

  1. सही कहा आपने ज्यादातर आदमी यही करते हैं ..

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  2. बहुत सुन्दर रचना!

    बेख़ौफ़ दरिन्दे
    कुचलती मासूमियत
    शर्मशार इंसानियत
    सम्बेदन हीनता की पराकाष्टा .
    उग्र और बेचैन अभिभाबक
    एक प्रश्न चिन्ह ?
    हम सबके लिये.


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  3. सत्य, सार्थक प्रस्तुति

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  4. सादर धन्यवाद राजेश कुमारी जी ...

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  5. एक कडवा सच कहती प्रस्तुति

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  6. सार्थक और सत्य,प्रभावी......रचना है..शुभकामनाएं।

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पधारने के लिए धन्यवाद