एक दिन इस जहाँ से दूर चला जाऊंगा
याद करोगे बहुत पर मिल ना पाउँगा
यादों में तेरी इस तरह समां जाऊंगा
धडकनों में हमेशा के लिए बस जाऊंगा
तुम शब्द रहोगे तो मैं जुबान बन जाऊंगा
तेरी हर तम्मना पूरी हो दुआ मैं ये कर जाऊंगा
तेरे सारे दुःख लेके दूर कहीं चला जाऊंगा
एक बार जो चला गया तो लौट के मैं न
आऊंगा मेरे जाने के बाद बस तुम इतना कर देना
मेरे कफ़न के लिए दुपट्टा अपना दे देना
जाते जाते तेरा आँचल जो मिल गया
तो खुद को बड़ा खुश नसीब मैं पाउँगा होंगी
ज़माने की खुशियाँ तेरे चारों तरफ
पर एक मैं ही बदनसीब उन्हें देख ना पाउँगा
ऐ मुझ पर सितम करने वाले इतना तो बता दे
क्या तुझे एक पल के लिए भी मैं याद आऊंगा ?
तेरे लिए मैं मौत से भी गुजर जाऊंगा
…………………………………………………… प्रवीन मलिक …….
याद करोगे बहुत पर मिल ना पाउँगा
यादों में तेरी इस तरह समां जाऊंगा
धडकनों में हमेशा के लिए बस जाऊंगा
तुम शब्द रहोगे तो मैं जुबान बन जाऊंगा
तेरी हर तम्मना पूरी हो दुआ मैं ये कर जाऊंगा
तेरे सारे दुःख लेके दूर कहीं चला जाऊंगा
एक बार जो चला गया तो लौट के मैं न
आऊंगा मेरे जाने के बाद बस तुम इतना कर देना
मेरे कफ़न के लिए दुपट्टा अपना दे देना
जाते जाते तेरा आँचल जो मिल गया
तो खुद को बड़ा खुश नसीब मैं पाउँगा होंगी
ज़माने की खुशियाँ तेरे चारों तरफ
पर एक मैं ही बदनसीब उन्हें देख ना पाउँगा
ऐ मुझ पर सितम करने वाले इतना तो बता दे
क्या तुझे एक पल के लिए भी मैं याद आऊंगा ?
तेरे लिए मैं मौत से भी गुजर जाऊंगा
…………………………………………………… प्रवीन मलिक …….
वाह प्रवीन जी बेहद सुन्दर रचना है हार्दिक बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteधन्यवाद अरुण जी ..
Deleteतुम शब्द रहोगे तो मैं जुबान बन जाऊंगा
ReplyDeleteतेरी हर तम्मना पूरी हो दुआ मैं ये कर जाऊंगा
sunder bhaav.
सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,
ReplyDeleteबिन आस के दुनियां में जीने में क्या रक्खा है
दिल में दिलबर के लिए आशियाना बना रक्खा है
उसके प्यार और चाहत ने मुझे दीवाना बना रक्खा है
कहीं अकेला न रह जाऊ मैं सो जनाजा सजा रक्खा है
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.
ReplyDeleteखुबसुरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहतरीन गजल
हार्दिक शुभकामनायें