मुसाफिर हैं हम तो चले जा रहे हैं ,
दुनिया ने दिए जो गम सहे जा रहे हैं !!
पता पूछते हैं हर किसी से खुशियों का
पर हर कोई गलत पता दिए जा रहे हैं !!
जिनसे हम करते हैं बेंतहाँ मोहब्बत ,
वो नफरत पे नफरत दिए जा रहे हैं !!
जिससे की थी वफ़ा की उम्मीदें ,
वो बेवफाई पे बेवफाई किये जा रहे हैं !!
जिनके लिए मांगी थी हमने ज़माने की खुशियाँ ,
वो हर कदम पर हमें गम के आंसू दिए जा रहे हैं !!
जिन्हें अपना समझ सुनाई दिले ऐ दास्तान ,
वो हमें ही पागल- दीवाना कहे जा रहे हैं !!
जिसके ज़ख्मो को दी थी मलहम ,
अब वही हमें ज़ख्म पे ज़ख्म दिए जा रहे हैं !!
जिसके लिए की रातों की नींदें हराम,
वही अब चैन की निन्दियाँ लिए जा रहे हैं !!
जिनके लिए की ज़माने से दुश्मनी ,
वही अब हमसे दुश्मनी निभाए जा रहे हैं !!
जिनके लिए था घर-बार हमने छोड़ा ,
वही अब हमें तन्हा किये जा रहे हैं !!
जिनको पाने के लिए की थी रब से दुआ ,
अब उनको ही भुलाने की कोशिश किये जा रहे हैं !!
उसकी चाह है की हम भूल जाये उनको ,
इसीलिए अब उनको दिल से मिटाए जा रहे हैं !!
............................................प्रवीन मलिक ......
जिनको पाने के लिए की थी रब से दुआ ,
ReplyDeleteअब उनको ही भुलाने की कोशिश किये जा रहे हैं !!
होता है जिंदगी में ऐसा कभी कभी ... पर भूलने से कौन भूलता है ..
sundar Gazal.
ReplyDeleteजिनके लिए की ज़माने से दुश्मनी ,
ReplyDeleteवही अब हमसे दुश्मनी निभाए जा रहे हैं
यही तो दस्तूर है भाई ..
प्रेम के मासूम दर्द का गहरा अहसास व्यक्त करती रचना
ReplyDeleteबधाई
जितनी लाजवाब आपकी गजल उतना ही हमें भी आपकी गजल ने लाजवब बना दिया
ReplyDeleteमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..
ReplyDeleteजिनके लिए था घर-बार हमने छोड़ा ,
ReplyDeleteवही अब हमें तन्हा किये जा रहे हैं !!
bahut sundr parveen ji
आप सभी महानुभावों को मेरा नमस्कार और ब्लॉग पर आकर अपने कीमती शब्द देने का हार्दिक धन्यवाद...
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए आपको बधाई
ReplyDeleteसंजय कुमार
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com