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Sunday 14 April 2013

कन्या भ्रूण हत्या महा पाप है.. हमारे देश में देवियों की पूजा की जाती है, बेटिओं को लक्ष्मी का रूप माना. जाता है, फिर भी आज हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध. को अंजाम दिया जाता है | हमें इस प्रकार के अपराध को रोकना चाहिए नहीं तो एक दिन ऐसा आएगा की न ही वंश आगे बढेगा न ही समाज .... बेटा जितना जरुरी है किसी भी वंश के लिए उतनी ही बेटी भी है !

मेरी रचना में एक अजन्मी बच्ची की पुकार एक माँ से ....

माँ मुझको भी जन्म लेने दो न
मैं भी पापा की लाडली बन
और दादी की गुडिया बन
तेरे आँगन को मह्काउंगी
हर दुःख तेरा मैं ले अपने पर
तेरे जीवन को स्वर्ग बनाउंगी ...

माँ मुझको भी जन्म लेने दो न
मैं भी बेटे के सारे फ़र्ज़
ख़ुशी से उन्हें निभाउंगी
हो सेना में मैं भर्ती
मैं भी देश के लिए
अपनी जान की बाजी लगाउंगी ...

माँ मुझको भी जन्म लेने दो न
मैं भी आपके आँगन को
खुशियों से भर जाऊँगी
खूब पढूंगी खूब लिखूंगी
और अफसर बन जाऊँगी
ले ओलम्पिक में हिस्सा
स्वर्ण पदक मैं भी लाऊँगी
नया इतिहास मैं भी रचाऊँगी ...

माँ लेने दो न ... मुझको भी जन्म लेने दो न .............

8 comments:

  1. बेटियां है तो कल है.बेटी की आवाज...बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [15.4.2013]के चर्चामंच1215 पर लिंक क़ी गई है,
    अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है | सूचनार्थ..

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  3. सार्थक विषय की सार्थक रचना
    बहुत सुंदर रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

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  4. बेटी की आद्र पुकार ...
    बेटियों से बड़ा सुख आज के समय में नज़र नहीं आता ...

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  5. सुंदर रचना!
    कन्याएँ कहीं किसी से कम नहीं हैं....
    ~सादर!!!

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  6. आदरणीय परवीन मालिक जी
    सुंदर सहज कविता के लिए आभार !!

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  7. .बेहतरीन रचना .....प्रवीन जी .आज की सार्थकता को लिए हुए .बहुत बहुत बधाई ..

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पधारने के लिए धन्यवाद