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Saturday 16 February 2013

मेरी माँ …प्यारी माँ ……. काहे तू रुलाये …. क्यूँ ना तू आये ?? ……





माँ शब्द में संसार समाया है ! माँ के आँचल में बच्चा खुद को हर तरह से महफूज़ समझता है ! माँ बच्चे कि पहली गुरु होती है ! इसीलिए माता को भी गुरु के सामान दर्ज़ा दिया जाता है ! माँ अछे बुरे में भेद करना सिखाती है ! माँ जीवन में आने वाली हर मुसीबतों से डट कर सामना करना सिखाती है ! ………………… आज मेरी माँ नहीं है लेकिन मैं अपनी ये रचना अपनी माँ को समर्पित करती हूँ ……….

माँ……….. ओ माँ…………. मेरी माँ ……………..
क्यूँ तू रुलाये……… क्यूँ तू सताए ………………..
कहाँ तू चली गयी …………….. माँ…. मेरी माँ …….

आके जरा देख ……… मेरे ये दिन रेन …………….
कितने हैं बेचैन्न्नन्न्न्न ………………
माँ ………. ओ माँ …………. मेरी माँ …………..

तेरे जैसा नहीं…….. यहाँ है कोई …………….
वो मेरा रूठना ………… वो तेरा मनाना …….
याद आये मुझे ………. करे है बेचैन्न्न्नन्न……..
माँ ….. ओ माँ ……………मेरी माँ………………

जहाँ भी मैं जाऊं ………… तुझी को पाऊँ ……
बिन तेरे डर मैं जाऊं …….. आँचल में तेरे छुप मैं जाऊं….
ओ माँ ….. मेरी माँ………प्यारी माँ………..

तू जो ना दिखे …… दिल करे शोर…. …..
ढूंढे तुझे ही हर और ……………..
तू जो मिल जाये…… रब मिल जाये …..
कुछ भी ना माँगू………. कुछ भी ना चाहूँ ………
तू ही ……. तू ही …… तू ही …. है सब और …..
ओ माँ …… मेरी माँ …….. प्यारी माँ……..

क्यूँ ना तू आये …….. बड़ा है रुलाये ……………
तेरी याद सताये…….दिन रैन ………….
ओ माँ ………….. मेरी माँ …… प्यारी माँ……

13 comments:

  1. कोमल उद्गारों की रागात्मक अभिव्यक्ति माँ के प्रति .आभार .

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    1. वीरेंदर शर्मा जी आपका बहुत बहुत स्वागत है ब्लॉग पर ...
      धन्यवाद...

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  2. माँ की ममता के बारे में जितना कहा जाए सब कम है ......सुंदर रचना ...

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  3. ममता की कोमल, सुंदर अभिव्यक्ति

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  4. सबसे पहले,मुझे सुलाते
    गीत सुनाया, अम्मा ने !
    थपकी दे दे कर,बहलाते
    आंसू पोंछे , अम्मा ने !
    सुनते सुनते निंदिया आई, आँचल से निकले थे गीत !
    उन्हें आज तक भुला न पाया ,बड़े मधुर थे मेरे गीत !


    आज तलक वह मद्धम स्वर
    कुछ याद दिलाये, कानों में !
    मीठी मीठी धुन लोरी की ,
    आज भी आये , कानों में !
    आज मुझे जब नींद न आये, कौन सुनाये आ के गीत ?
    काश कहीं से, मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !


    मुझे याद है ,थपकी देकर,
    माँ कुछ याद दिलाती थी !
    सिर्फ गुनगुनाहट सुनकर
    ही, आँख बंद हो जाती थी !
    आज वह लोरी, उनके स्वर में, कैसे गायें, मेरे गीत !
    कहाँ से लाऊं,उस बंधन को,माँ की याद दिलाते गीत !

    पुनश्च : please remove word verification immediately , it serves no purpose but inconvenience for your readers..

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद जी ...

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  6. सतीश सक्सेना जी माँ की ममता का कोई मोल नहीं ...
    धन्यवाद ..

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  7. माँ के लिए बच्चों का दिल ओर बच्चों के लिए माँ का दिल हमेशा ही धड़कता है .... माँ की ममता का कोई मोल हो ही नहीं सकता ...

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  8. माँ की याद दिल के आप्ने मुझे रुला दिया ....

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  9. माँ की याद दिल के आपने रुला दिया .....

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पधारने के लिए धन्यवाद