ये दिल कहता है न कर किसी से कोई आस
जो आज तक न तेरा हुआ क्या होगा कल वो पास……
मतलब के हैं रिश्ते – नाते, मतलब का ये प्यार
मतलब जो निकल गया , न कोई तेरा होगा यार……..
जिनके लिए तुमने जला दी थी अपनी खुशियाँ
आज वो ही लोग मना रहे हैं रंग – रलियाँ …..
पल दो पल तो साथ निभा देगा हर कोई
ताउम्र न तेरा साथ देगा कोई …….
यहाँ तो दुनिया की फितरत ही यही है
करोगे जिसका अच्छा रुलाता भी वही है ……..
लहरें कब साहिल से वफ़ा करती हैं ,
साहिल को छू कर वापस समुद्र में लौट जाती हैं ……….
सांसे भी तेरी अपनी नहीं ,न जाने कब साथ छोड़ देंगी ,
याद रख अंधेरों में तो परछाई भी साथ छोड़ देगी ………
आँखों में आंसू होंगे , दिल में बेइन्तहा दर्द होगा
दुनिया की भीड़ में अकेले होगे , तेरा गम ही तेरा अपना होगा ………..
************************ प्रवीन मलिक ***************************************
प्रवीन जी ह्रदय की वेदना को शब्दों में बहुत ही सुन्दरता एवं सहजता से उतारा है आपने हार्दिक बधाई स्वीकारें.
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ReplyDeleteउसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
ReplyDeleteपर बहुत देर बाद जाकर इसका एहसास हुआ।
अशोक'अकेला'
शुभकामनायें!
कुछ ऐसी चली गर्म हवा ,अप्नत्व के खंड पिघले
ReplyDeleteसमझे थे जिनको पास वो दिल से कोसों दूर् निकले
अपनी लिखी ये पंक्तियाँ याद आगे आपकी रचना पढ़ के बहुत भाव पूर्ण प्रस्तुति पर बधाई प्रवीण जी आपके ब्लॉग को फॉलो कर लिया है
bade hi khoobshurat andaz me behad acchhi gazl
ReplyDeleteखूबसूरत अंदाजेबयां और उम्दा अहसास.
ReplyDeleteमतलब के हैं रिश्ते – नाते, मतलब का ये प्यार
ReplyDeleteमतलब जो निकल गया , न कोई तेरा होगा यार…
कितने बड़े सच को सहज ही कह दिया .... बहुत खूब ....
उम्दा रचना ...
भाव प्रधान .... अच्छा लगा पढ़ने के बाद ....
ReplyDeleteआप सभी महानुभावों का हार्दिक धन्यवाद मेरी रचना को अपना कीमती समय देने के लिए लिए .....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,
ReplyDeleteसंग मेरे घूमते थे, संग मेरे खाते
करते थे, मुझसे बे बड़ी बड़ी बातें
दुर्दिन में मेरे बो ,आये नहीं काम जी
अब तो शरण में ,मैं आया तेरी राम जी
यार दोस्त देखे मैनें, देखे मैनें नाते
परे मेरे जाती हैं ,दुनिया की बातें
बचपन ,जबानी बीती , आयी अब शाम जी
अब तो शरण में ,मैं आया तेरी राम जी
कही अनकही बाते (गोस्वामी की)
ReplyDeleteInbox
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kamalgoswami485@gmail.com
1/15/12
to me
हर एक गम को बताया भी नही जाता अपने दिल को सताया भी नही जाता लोगो ने बहुत दर्द दिये हैँ मुझे हर एक दर्द के बारे मेँ बताया भी नही जाता दिल मेँ अभी जख्म भरा-भरा सा हैँ कुछ तो ताजा कुछ हरा-हरा सा हैँ दिल अभी मरा-मरा सा हैँ जी तो रहा हैँ मगर कुछ डरा-डरा सा हैँ दिल मेँ अभी जख्म भरा-भरा सा हैँ वक्त ने मुझे बहुत कुछ दिया अब तो जीना भीला सा दिया हैँ मैने अपने हालातू पे गोर करु तो कही से भी भलाई नजर नही नजर आती दिखाई दे रही हैँ जीन्दगी जैसे हर मोड पे सताती हैँ मुझे -मुझे अकसर अपने गुजरे हुवे लम्हे याद आते हैँ की क्या पाया तुने की क्या गवाया तुने हर एक लम्हा याद दिलाती हैँ शायद नसीब मेरा ही खराब चल रहा हैँ ये बता रही हैँ मुझे अकसर जीन्दगी रुलाती हैँ मुझे मैँ बेकसुर हूँ मुझेँ फिर भी गुनेहेगार बनाती हैँ अकसर मुझे गुजरे हुवे लम्हू की याद दिलाती हैँ कभी भला वक्त भी था तेरा ये याद दिलाती हैँ जैसे जीन्दगी मुझे बार-बार समझाती हैँ शायद समझाने का तरीका अलग हो शायद मैँ वक्त को नही समझ पाया हूँ लेकिन वक्त ने इसारा तो कई बार किया लेकिन मैँ हमेशा दुसरु की भलाई मेँ खोया रहा कई बार इसारा तो हुवा की जीसका भला किया या फिर भला करना चाहा बिना कोई मतलब का उन्हू लोगो ने वक्त के बारे मेँ काफी सीखाया लेकिन मैँ शायद समझा ही नही पाया आज अच्छी तरह मुझे वक्त का पता चला सच मेँ हर भलाई का पता चला सच मेँ मुझेँ दोस्ती मेँ ऐसा दर्द मिल हैँ मुझे की अब तो दोस्ती का हात किसी की ओर बडाया भी नही जाता ऐसा करके गये हैँ दोस्त मेरे साथ की अब तो बताया भी नही जाता चोट लगी सिधे दिल पे कम्बखत कोई पूछने तक नही आया बस गाँव की हर एक यादू का दिल मेँ डेरा रहा हर दूख मेँ सुख मेँ मेरी माँ ने जैसे मेरे सीर पे हाथ फेरा रहा अपने पूराने खुसीयू भरे दिन मुझे अकसर याद आते हैँ यकिन नही होता की मैँ कभी हर पल खुस रहता था ना जाने किसने छुनी खुसिया मेरी अब तो हर पल दर्द के साये मेँ जीता हूँ सोच के यकिन नही होता की कभी खुल के हसा भी करता था मैँ सच मेँ वक्त ऐसी भी करवट भी लेगा मुझे तो पता भी नही था कभी कम्बखत जैसे मैँ आज अपनी ही गुनाहू की जैसे सजा पा रहा हूँ खैर कोई बात नही मेरा भी अच्छा वक्त आयेगा कभी न कभी मैँ उस अच्छे वक्त का इन्तेजार करुगा धन्यबाद
कही अनकही बाते (गोस्वामी की)
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1/15/12
to me
हर एक गम को बताया भी नही जाता अपने दिल को सताया भी नही जाता लोगो ने बहुत दर्द दिये हैँ मुझे हर एक दर्द के बारे मेँ बताया भी नही जाता दिल मेँ अभी जख्म भरा-भरा सा हैँ कुछ तो ताजा कुछ हरा-हरा सा हैँ दिल अभी मरा-मरा सा हैँ जी तो रहा हैँ मगर कुछ डरा-डरा सा हैँ दिल मेँ अभी जख्म भरा-भरा सा हैँ वक्त ने मुझे बहुत कुछ दिया अब तो जीना भीला सा दिया हैँ मैने अपने हालातू पे गोर करु तो कही से भी भलाई नजर नही नजर आती दिखाई दे रही हैँ जीन्दगी जैसे हर मोड पे सताती हैँ मुझे -मुझे अकसर अपने गुजरे हुवे लम्हे याद आते हैँ की क्या पाया तुने की क्या गवाया तुने हर एक लम्हा याद दिलाती हैँ शायद नसीब मेरा ही खराब चल रहा हैँ ये बता रही हैँ मुझे अकसर जीन्दगी रुलाती हैँ मुझे मैँ बेकसुर हूँ मुझेँ फिर भी गुनेहेगार बनाती हैँ अकसर मुझे गुजरे हुवे लम्हू की याद दिलाती हैँ कभी भला वक्त भी था तेरा ये याद दिलाती हैँ जैसे जीन्दगी मुझे बार-बार समझाती हैँ शायद समझाने का तरीका अलग हो शायद मैँ वक्त को नही समझ पाया हूँ लेकिन वक्त ने इसारा तो कई बार किया लेकिन मैँ हमेशा दुसरु की भलाई मेँ खोया रहा कई बार इसारा तो हुवा की जीसका भला किया या फिर भला करना चाहा बिना कोई मतलब का उन्हू लोगो ने वक्त के बारे मेँ काफी सीखाया लेकिन मैँ शायद समझा ही नही पाया आज अच्छी तरह मुझे वक्त का पता चला सच मेँ हर भलाई का पता चला सच मेँ मुझेँ दोस्ती मेँ ऐसा दर्द मिल हैँ मुझे की अब तो दोस्ती का हात किसी की ओर बडाया भी नही जाता ऐसा करके गये हैँ दोस्त मेरे साथ की अब तो बताया भी नही जाता चोट लगी सिधे दिल पे कम्बखत कोई पूछने तक नही आया बस गाँव की हर एक यादू का दिल मेँ डेरा रहा हर दूख मेँ सुख मेँ मेरी माँ ने जैसे मेरे सीर पे हाथ फेरा रहा अपने पूराने खुसीयू भरे दिन मुझे अकसर याद आते हैँ यकिन नही होता की मैँ कभी हर पल खुस रहता था ना जाने किसने छुनी खुसिया मेरी अब तो हर पल दर्द के साये मेँ जीता हूँ सोच के यकिन नही होता की कभी खुल के हसा भी करता था मैँ सच मेँ वक्त ऐसी भी करवट भी लेगा मुझे तो पता भी नही था कभी कम्बखत जैसे मैँ आज अपनी ही गुनाहू की जैसे सजा पा रहा हूँ खैर कोई बात नही मेरा भी अच्छा वक्त आयेगा कभी न कभी मैँ उस अच्छे वक्त का इन्तेजार करुगा धन्यबाद