आइये आपका स्वागत है

Saturday, 3 August 2013

माँ कहती थी .....



कभी न किसी का दिल दुखाना 
भले हीउसके लिए तुम खुद टूट जाना 

हर रिश्ते को दिल से निभाना 
फिर चाहे दिल पर कितनी भी चोट खाना 

हर किसी का मान रखना 
पर कभी न अपना आत्मसम्मान गवाना 

दुखों में भी तुम मुस्कुराना 
ग़मों का न तुम बाज़ार-ऐ-दिल  सजाना 

कभी न किसी के दिल से उतरना 
हर किसी के दिल में तुम उतर जाना 


******प्रवीन मलिक ******

11 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल रविवार , दिनांक ४ अगस्त को ब्लॉग प्रसारण http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की जा रही है .. कृपया पधारें
    साभार सूचनार्थ

    ReplyDelete
  2. वाह , बहुत सुंदर





    यहाँ भी पधारे

    गजल
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_4.html

    ReplyDelete
  3. सुंदर.... माँ की हर सीख जीवन को सार्थक करती है.....

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।

    ReplyDelete
  5. माँ सच ही कहती है जो कहती है ... जीवन का सार होता है उन सभी बातों में ...

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति ..

    ReplyDelete
  7. जीवन के पाठ पढ़ाए हैं माँ ने !

    ReplyDelete
  8. मां की सच्ची सीख ।

    ReplyDelete
  9. सादर धन्यवाद अरुन जी ...

    ReplyDelete

पधारने के लिए धन्यवाद