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Wednesday, 28 August 2013

मेरा बाल-गोपाला .....



माथे पे जिसके मोर पंख सजे
होंठों पर जिसके सजती है मुरलिया
उंगली पर जिसके चक्र है घूमता
कोई और नहीं वो है मेरा साँवरिया.....

राधा जिसकी हुई प्रेम दिवानी 
मुरली सुन दौड़ी आती थी गोपियाँ
प्रेम में उसके मीरा पी गई विष-प्याला
कोई और नहीं वो है मेरा मुरलीवाला ......

मटकियाँ तोड़ता माखन है चोरता 
मैया जो डाँटे फिर लुकछुप है दौड़ता
सुदामा संग खेलता नटखट गोपाला
कोई और नहीं वो है मेरा कृष्ण काला......

गीता का जिसने उपदेश दिया था
कंस मामा का उसने वध किया था 
राक्षसी पूतना भी जिसने थी मारी
कोई और नहीं वो है मेरा बांके बिहारी ........

प्रवीन मलिक .... सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !!!!!

8 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (29-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : शतकीय अंक" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.

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    1. बहुत बहुत आभात रचना को शामिल करने के लिए ....

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  2. हार्दिक शुभकामनाएँ

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बृहस्पतिवार- 29/08/2013 को
    हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः8 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra

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  4. हार्दिक शुभकामनाएँ

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पधारने के लिए धन्यवाद