सीमा चली जा रही थी खोई खोई सी ! अचानक उसका ध्यान भंग हुआ तो देखा ... अरे ये तो मैं अपने स्कूल आ गयी हूँ ! पर स्कूल में कोई नहीं है क्यूँकि छुट्टी हो गयी है ! सीमा चुपचाप बरामदे में चली जा रही है इस स्कूल में सिर्फ पाँच कमरे थे ! ये माध्यमिक स्कूल था ! स्कूल के तीन साल यहाँ बिताये थे ! आज फिर खुद को अनायास यहाँ पाकर उसके दिल को कितनी राहत मिल रही थी ! कोई बहुत अच्छा स्कूल नहीं था लेकिन अहसास बहुत खास था ! हालांकि अब स्कूल बढिया बन गया है वह स्कूल को ठहर कर चारों तरफ नजर घुमाकर देखती है ! लेकिन वो पुराने पाँच कमरे सिर्फ मरम्मत करके छोड़े हैं ! वो कोने का आखिरी कमरा वहीं तो मेरी कक्षा होती थी याद आते ही कदम अनायास ही बढ़ने लगे ! खिड़की के पास से गुजर ही रही थी कि उसके कान में सीमा चली जा रही थी खोई खोई सी ! अचानक उसका ध्यान भंग हुआ तो देखा ... अरे ये तो मैं अपने स्कूल आ गयी हूँ ! पर स्कूल में कोई नहीं है क्यूँकि छुट्टी हो गयी है ! सीमा चुपचाप बरामदे में चली जा रही है इस स्कूल में सिर्फ पाँच कमरे थे ! ये माध्यमिक स्कूल था ! स्कूल के तीन साल यहाँ बिताये थे ! आज फिर खुद को अनायास यहाँ पाकर उसके दिल को कितनी राहत मिल रही थी ! कोई बहुत अच्छा स्कूल नहीं था लेकिन अहसास बहुत खास था ! हालांकि अब स्कूल बढिया बन गया है वह स्कूल को ठहर कर चारों तरफ नजर घुमाकर देखती है ! लेकिन वो पुराने पाँच कमरे सिर्फ मरम्मत करके छोड़े हैं ! वो कोने का आखिरी कमरा वहीं तो मेरी कक्षा होती थी याद आते ही कदम अनायास ही बढ़ने लगे ! खिड़की के पास से गुजर ही रही थी कि उसके कान में आवाज पड़ी " गुड ईवनिंग मैडम" ... आवाज कुछ जानी पहचानी थी ... वापस थोड़ा पिछे लौटी और खिड़की से अन्दर झांका तो देखकर हैरान हो गयी ... उसकी खुशी का ठिकाना न था ! ओह माई गोड .... रवि सर आप ! स्कूल की तो छुट्टी हो गयी है आप यहाँ कैसे ? ... और आपने मुझे मैडम कहा ..... रवि सर उसे देखकर मुस्करा रहे थे ! सीमा हैरान अत्यन्त खुशी महसूस कर रही थी ! रवि सर कोई उसके खास नहीं थे पर दिल में अजीब सा सुकून था मिलकर .....
रवि सर ने चुप्पी तोड़ी ... हाँ सीमा मैं ! एक्सट्रा क्लास लेने की आदत गयी नहीं मेरी अभी तक ! घर जाकर भी क्या करूँ यहाँ इन बच्चों के साथ समय बिताना ही अच्छा लगता है और इन्हें भी पढाई में मदद मिल जाती है ! तुम तो ऐसी गयी कभी वापस आने का नाम नहीं लिया ! (रवि सर सीमा के सर अवश्य थे पर उम्र में कोई ज्यादा बड़े नहीं थे और न ही सीमा के माध्यमिक स्कूल के सर थे बल्कि वो तो सीमा को कॉलेज टाईम में कम्प्यूटर पढाते थे .... सीमा और रवि सर की अच्छी दोस्ती थी ! कितनी बार रवि ने कहा था कि ये तुम सर लगाकर मुझे बहुत बड़ा बना देती हो ... कम से कम कक्षा के बाहर तो रवि सर न कहकर रवि बुलाया करो ... पर सीमा कहती कि मुझे रवि सर कहना ही अच्छा लगता है .... बहुत अच्छा लगता है ! .... लेकिन रवि सर यहाँ माध्यमिक स्कूल में क्या कर रहे हैं ? बतायेगें पर बाद में ... )
सीमा जितनी खुश थी रवि से मिलकर उससे कहीं ज्यादा खुश रवि लग रहा था ! .... सीमा तुम यहाँ कैसे ? ..... सीमा चौंकी ... अरे हाँ मैं यहाँ कैसे पता नहीं कैसे ... बस चलती चली आयी और कब यहाँ पहुँच गयी पता नहीं ! ....
रवि ने कहा ... क्या करती हो आजकल ? बहुत अच्छी थी तुम पढाई में ... मुझे हमेशा लगता था तुम कुछ न कुछ जरुर करोगी ! पर यहाँ लोग जाने क्या क्या बोलते हैं तुम्हारे बारे में .... मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई तुम्हारे बारे में कुछ उल्टा सीधा बोलता है तो !
सीमा ... सर मैंनें कुछ गलत नहीं किया ... उस मासूम लड़की की मदद की जिसे सबने दुत्कार दिया था ... सब उसे दोष देते जबकि वो बिल्कुल दोषी नहीं ... उसने तो प्यार किया था सच्चे दिल से बस गल्ती की तो इतनी की उस लड़के पर खुद से ज्यादा विश्वास कर लिया और वो उसे बीच राह में छोड़कर चला गया ! प्यार करना कोई जुर्म तो नहीं है फिर क्यूँ उसके माँ-बाप तक ने उसे इस हालत में घर से बाहर निकाल दिया ... माँ बनने वाली है वो ... कहाँ जाती ... मुझसे नहीं देखा गया और उसको मैंनें पनाह दी उसकी थोड़ी मदद की और दुनिया ने मुझे कसूरवार ठहरा दिया ... क्या स्वेदंनशील होना गुनाह है ! और मेरे घरवाले भी मुझे दोषी समझते हैं कि उसे घर में क्यूँ रखा है !
रवि .... तुमने कुछ गलत नहीं किया ... जितनी हो सके किसी असहाय की मदद करनी चाहिए ...
दुनिया क्या कहती है .. कहने दो ! वही करो जिससे तुम्हारे दिल को तसल्ली मिले !
पर मैं उसकी मदद करके भी खुश नहीं हूँ ... अपनों की बेरुखी दिल पर बोझ बन गयी है ! आपसे मिलकर मुझे आज बहुत ही अद्भुत खुशी हो रही है ... कैसे बताऊँ ... कितना सुखद लग रहा है ! बस ये पल ये समय काश यहीं रुक जाये ...
सीमा समय तो नहीं रुका चलता चला गया पर रवि जरुर तुम्हारा इन्तजार करते हुये वहीं का वहीं रुका हुआ है आज भी .... कभी वापस पलटकर आती तो देखती ... पर तुम तो ..... कहकर रवि चुप हो गया !
सीमा अवाक सी देखती रही .... सोचने लगी कि इतना प्रेम था तो कहा क्यूँ नहीं ... मैं भी कभी कहीं और शादी नहीं करती .... पर सर अब मेरी दुनिया बहुत अलग है .. मेरा एक हँसता खेलता संसार है .... और आप उसमें कहीं नहीं है !
रवि ... अहसास में भी नहीं ... तुम खुश रहो बस मैं इतना ही चाहता हूँ .... ऐसा कहकर रवि आगे बढ़ गया ... सीमा रोकना चाहती थी पर तभी अलार्म बज पड़ा और वह उठी ... उफ्फ सपना था ...
सपना था तभी रविसर को माध्यमिक स्कूल में पाया ... बहुत मन है कि रविसर से बात करुँ पर कैसे ..... मेरे पास कोई माध्यम नहीं उनसे बात करने का ....
कभी कभी सपने कहाँ कहाँ की सैर करा देते हैं किस किस से मिला देते हैं कितना खुशी का अहसास करा देते हैं .... सपनों की भी अपनी एक अलग ही दुनिया रंगबिरंगी सी ... पड़ी " गुड ईवनिंग मैडम" ... आवाज कुछ जानी पहचानी थी ... वापस थोड़ा पिछे लौटी और खिड़की से अन्दर झांका तो देखकर हैरान हो गयी ... उसकी खुशी का ठिकाना न था ! ओह माई गोड .... रवि सर आप ! स्कूल की तो छुट्टी हो गयी है आप यहाँ कैसे ? ... और आपने मुझे मैडम कहा ..... रवि सर उसे देखकर मुस्करा रहे थे ! सीमा हैरान अत्यन्त खुशी महसूस कर रही थी ! रवि सर कोई उसके खास नहीं थे पर दिल में अजीब सा सुकून था मिलकर .....
रवि सर ने चुप्पी तोड़ी ... हाँ सीमा मैं ! एक्सट्रा क्लास लेने की आदत गयी नहीं मेरी अभी तक ! घर जाकर भी क्या करूँ यहाँ इन बच्चों के साथ समय बिताना ही अच्छा लगता है और इन्हें भी पढाई में मदद मिल जाती है ! तुम तो ऐसी गयी कभी वापस आने का नाम नहीं लिया ! (रवि सर सीमा के सर अवश्य थे पर उम्र में कोई ज्यादा बड़े नहीं थे और न ही सीमा के माध्यमिक स्कूल के सर थे बल्कि वो तो सीमा को कॉलेज टाईम में कम्प्यूटर पढाते थे .... सीमा और रवि सर की अच्छी दोस्ती थी ! कितनी बार रवि ने कहा था कि ये तुम सर लगाकर मुझे बहुत बड़ा बना देती हो ... कम से कम कक्षा के बाहर तो रवि सर न कहकर रवि बुलाया करो ... पर सीमा कहती कि मुझे रवि सर कहना ही अच्छा लगता है .... बहुत अच्छा लगता है ! .... लेकिन रवि सर यहाँ माध्यमिक स्कूल में क्या कर रहे हैं ? बतायेगें पर बाद में ... )
सीमा जितनी खुश थी रवि से मिलकर उससे कहीं ज्यादा खुश रवि लग रहा था ! .... सीमा तुम यहाँ कैसे ? ..... सीमा चौंकी ... अरे हाँ मैं यहाँ कैसे पता नहीं कैसे ... बस चलती चली आयी और कब यहाँ पहुँच गयी पता नहीं ! ....
रवि ने कहा ... क्या करती हो आजकल ? बहुत अच्छी थी तुम पढाई में ... मुझे हमेशा लगता था तुम कुछ न कुछ जरुर करोगी ! पर यहाँ लोग जाने क्या क्या बोलते हैं तुम्हारे बारे में .... मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई तुम्हारे बारे में कुछ उल्टा सीधा बोलता है तो !
सीमा ... सर मैंनें कुछ गलत नहीं किया ... उस मासूम लड़की की मदद की जिसे सबने दुत्कार दिया था ... सब उसे दोष देते जबकि वो बिल्कुल दोषी नहीं ... उसने तो प्यार किया था सच्चे दिल से बस गल्ती की तो इतनी की उस लड़के पर खुद से ज्यादा विश्वास कर लिया और वो उसे बीच राह में छोड़कर चला गया ! प्यार करना कोई जुर्म तो नहीं है फिर क्यूँ उसके माँ-बाप तक ने उसे इस हालत में घर से बाहर निकाल दिया ... माँ बनने वाली है वो ... कहाँ जाती ... मुझसे नहीं देखा गया और उसको मैंनें पनाह दी उसकी थोड़ी मदद की और दुनिया ने मुझे कसूरवार ठहरा दिया ... क्या स्वेदंनशील होना गुनाह है ! और मेरे घरवाले भी मुझे दोषी समझते हैं कि उसे घर में क्यूँ रखा है !
रवि .... तुमने कुछ गलत नहीं किया ... जितनी हो सके किसी असहाय की मदद करनी चाहिए ...
दुनिया क्या कहती है .. कहने दो ! वही करो जिससे तुम्हारे दिल को तसल्ली मिले !
पर मैं उसकी मदद करके भी खुश नहीं हूँ ... अपनों की बेरुखी दिल पर बोझ बन गयी है ! आपसे मिलकर मुझे आज बहुत ही अद्भुत खुशी हो रही है ... कैसे बताऊँ ... कितना सुखद लग रहा है ! बस ये पल ये समय काश यहीं रुक जाये ...
सीमा समय तो नहीं रुका चलता चला गया पर रवि जरुर तुम्हारा इन्तजार करते हुये वहीं का वहीं रुका हुआ है आज भी .... कभी वापस पलटकर आती तो देखती ... पर तुम तो ..... कहकर रवि चुप हो गया !
सीमा अवाक सी देखती रही .... सोचने लगी कि इतना प्रेम था तो कहा क्यूँ नहीं ... मैं भी कभी कहीं और शादी नहीं करती .... पर सर अब मेरी दुनिया बहुत अलग है .. मेरा एक हँसता खेलता संसार है .... और आप उसमें कहीं नहीं है !
रवि ... अहसास में भी नहीं ... तुम खुश रहो बस मैं इतना ही चाहता हूँ .... ऐसा कहकर रवि आगे बढ़ गया ... सीमा रोकना चाहती थी पर तभी अलार्म बज पड़ा और वह उठी ... उफ्फ सपना था ...
सपना था तभी रविसर को माध्यमिक स्कूल में पाया ... बहुत मन है कि रविसर से बात करुँ पर कैसे ..... मेरे पास कोई माध्यम नहीं उनसे बात करने का ....
कभी कभी सपने कहाँ कहाँ की सैर करा देते हैं किस किस से मिला देते हैं कितना खुशी का अहसास करा देते हैं .... सपनों की भी अपनी एक अलग ही दुनिया रंगबिरंगी सी ...
रवि सर ने चुप्पी तोड़ी ... हाँ सीमा मैं ! एक्सट्रा क्लास लेने की आदत गयी नहीं मेरी अभी तक ! घर जाकर भी क्या करूँ यहाँ इन बच्चों के साथ समय बिताना ही अच्छा लगता है और इन्हें भी पढाई में मदद मिल जाती है ! तुम तो ऐसी गयी कभी वापस आने का नाम नहीं लिया ! (रवि सर सीमा के सर अवश्य थे पर उम्र में कोई ज्यादा बड़े नहीं थे और न ही सीमा के माध्यमिक स्कूल के सर थे बल्कि वो तो सीमा को कॉलेज टाईम में कम्प्यूटर पढाते थे .... सीमा और रवि सर की अच्छी दोस्ती थी ! कितनी बार रवि ने कहा था कि ये तुम सर लगाकर मुझे बहुत बड़ा बना देती हो ... कम से कम कक्षा के बाहर तो रवि सर न कहकर रवि बुलाया करो ... पर सीमा कहती कि मुझे रवि सर कहना ही अच्छा लगता है .... बहुत अच्छा लगता है ! .... लेकिन रवि सर यहाँ माध्यमिक स्कूल में क्या कर रहे हैं ? बतायेगें पर बाद में ... )
सीमा जितनी खुश थी रवि से मिलकर उससे कहीं ज्यादा खुश रवि लग रहा था ! .... सीमा तुम यहाँ कैसे ? ..... सीमा चौंकी ... अरे हाँ मैं यहाँ कैसे पता नहीं कैसे ... बस चलती चली आयी और कब यहाँ पहुँच गयी पता नहीं ! ....
रवि ने कहा ... क्या करती हो आजकल ? बहुत अच्छी थी तुम पढाई में ... मुझे हमेशा लगता था तुम कुछ न कुछ जरुर करोगी ! पर यहाँ लोग जाने क्या क्या बोलते हैं तुम्हारे बारे में .... मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई तुम्हारे बारे में कुछ उल्टा सीधा बोलता है तो !
सीमा ... सर मैंनें कुछ गलत नहीं किया ... उस मासूम लड़की की मदद की जिसे सबने दुत्कार दिया था ... सब उसे दोष देते जबकि वो बिल्कुल दोषी नहीं ... उसने तो प्यार किया था सच्चे दिल से बस गल्ती की तो इतनी की उस लड़के पर खुद से ज्यादा विश्वास कर लिया और वो उसे बीच राह में छोड़कर चला गया ! प्यार करना कोई जुर्म तो नहीं है फिर क्यूँ उसके माँ-बाप तक ने उसे इस हालत में घर से बाहर निकाल दिया ... माँ बनने वाली है वो ... कहाँ जाती ... मुझसे नहीं देखा गया और उसको मैंनें पनाह दी उसकी थोड़ी मदद की और दुनिया ने मुझे कसूरवार ठहरा दिया ... क्या स्वेदंनशील होना गुनाह है ! और मेरे घरवाले भी मुझे दोषी समझते हैं कि उसे घर में क्यूँ रखा है !
रवि .... तुमने कुछ गलत नहीं किया ... जितनी हो सके किसी असहाय की मदद करनी चाहिए ...
दुनिया क्या कहती है .. कहने दो ! वही करो जिससे तुम्हारे दिल को तसल्ली मिले !
पर मैं उसकी मदद करके भी खुश नहीं हूँ ... अपनों की बेरुखी दिल पर बोझ बन गयी है ! आपसे मिलकर मुझे आज बहुत ही अद्भुत खुशी हो रही है ... कैसे बताऊँ ... कितना सुखद लग रहा है ! बस ये पल ये समय काश यहीं रुक जाये ...
सीमा समय तो नहीं रुका चलता चला गया पर रवि जरुर तुम्हारा इन्तजार करते हुये वहीं का वहीं रुका हुआ है आज भी .... कभी वापस पलटकर आती तो देखती ... पर तुम तो ..... कहकर रवि चुप हो गया !
सीमा अवाक सी देखती रही .... सोचने लगी कि इतना प्रेम था तो कहा क्यूँ नहीं ... मैं भी कभी कहीं और शादी नहीं करती .... पर सर अब मेरी दुनिया बहुत अलग है .. मेरा एक हँसता खेलता संसार है .... और आप उसमें कहीं नहीं है !
रवि ... अहसास में भी नहीं ... तुम खुश रहो बस मैं इतना ही चाहता हूँ .... ऐसा कहकर रवि आगे बढ़ गया ... सीमा रोकना चाहती थी पर तभी अलार्म बज पड़ा और वह उठी ... उफ्फ सपना था ...
सपना था तभी रविसर को माध्यमिक स्कूल में पाया ... बहुत मन है कि रविसर से बात करुँ पर कैसे ..... मेरे पास कोई माध्यम नहीं उनसे बात करने का ....
कभी कभी सपने कहाँ कहाँ की सैर करा देते हैं किस किस से मिला देते हैं कितना खुशी का अहसास करा देते हैं .... सपनों की भी अपनी एक अलग ही दुनिया रंगबिरंगी सी ... पड़ी " गुड ईवनिंग मैडम" ... आवाज कुछ जानी पहचानी थी ... वापस थोड़ा पिछे लौटी और खिड़की से अन्दर झांका तो देखकर हैरान हो गयी ... उसकी खुशी का ठिकाना न था ! ओह माई गोड .... रवि सर आप ! स्कूल की तो छुट्टी हो गयी है आप यहाँ कैसे ? ... और आपने मुझे मैडम कहा ..... रवि सर उसे देखकर मुस्करा रहे थे ! सीमा हैरान अत्यन्त खुशी महसूस कर रही थी ! रवि सर कोई उसके खास नहीं थे पर दिल में अजीब सा सुकून था मिलकर .....
रवि सर ने चुप्पी तोड़ी ... हाँ सीमा मैं ! एक्सट्रा क्लास लेने की आदत गयी नहीं मेरी अभी तक ! घर जाकर भी क्या करूँ यहाँ इन बच्चों के साथ समय बिताना ही अच्छा लगता है और इन्हें भी पढाई में मदद मिल जाती है ! तुम तो ऐसी गयी कभी वापस आने का नाम नहीं लिया ! (रवि सर सीमा के सर अवश्य थे पर उम्र में कोई ज्यादा बड़े नहीं थे और न ही सीमा के माध्यमिक स्कूल के सर थे बल्कि वो तो सीमा को कॉलेज टाईम में कम्प्यूटर पढाते थे .... सीमा और रवि सर की अच्छी दोस्ती थी ! कितनी बार रवि ने कहा था कि ये तुम सर लगाकर मुझे बहुत बड़ा बना देती हो ... कम से कम कक्षा के बाहर तो रवि सर न कहकर रवि बुलाया करो ... पर सीमा कहती कि मुझे रवि सर कहना ही अच्छा लगता है .... बहुत अच्छा लगता है ! .... लेकिन रवि सर यहाँ माध्यमिक स्कूल में क्या कर रहे हैं ? बतायेगें पर बाद में ... )
सीमा जितनी खुश थी रवि से मिलकर उससे कहीं ज्यादा खुश रवि लग रहा था ! .... सीमा तुम यहाँ कैसे ? ..... सीमा चौंकी ... अरे हाँ मैं यहाँ कैसे पता नहीं कैसे ... बस चलती चली आयी और कब यहाँ पहुँच गयी पता नहीं ! ....
रवि ने कहा ... क्या करती हो आजकल ? बहुत अच्छी थी तुम पढाई में ... मुझे हमेशा लगता था तुम कुछ न कुछ जरुर करोगी ! पर यहाँ लोग जाने क्या क्या बोलते हैं तुम्हारे बारे में .... मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई तुम्हारे बारे में कुछ उल्टा सीधा बोलता है तो !
सीमा ... सर मैंनें कुछ गलत नहीं किया ... उस मासूम लड़की की मदद की जिसे सबने दुत्कार दिया था ... सब उसे दोष देते जबकि वो बिल्कुल दोषी नहीं ... उसने तो प्यार किया था सच्चे दिल से बस गल्ती की तो इतनी की उस लड़के पर खुद से ज्यादा विश्वास कर लिया और वो उसे बीच राह में छोड़कर चला गया ! प्यार करना कोई जुर्म तो नहीं है फिर क्यूँ उसके माँ-बाप तक ने उसे इस हालत में घर से बाहर निकाल दिया ... माँ बनने वाली है वो ... कहाँ जाती ... मुझसे नहीं देखा गया और उसको मैंनें पनाह दी उसकी थोड़ी मदद की और दुनिया ने मुझे कसूरवार ठहरा दिया ... क्या स्वेदंनशील होना गुनाह है ! और मेरे घरवाले भी मुझे दोषी समझते हैं कि उसे घर में क्यूँ रखा है !
रवि .... तुमने कुछ गलत नहीं किया ... जितनी हो सके किसी असहाय की मदद करनी चाहिए ...
दुनिया क्या कहती है .. कहने दो ! वही करो जिससे तुम्हारे दिल को तसल्ली मिले !
पर मैं उसकी मदद करके भी खुश नहीं हूँ ... अपनों की बेरुखी दिल पर बोझ बन गयी है ! आपसे मिलकर मुझे आज बहुत ही अद्भुत खुशी हो रही है ... कैसे बताऊँ ... कितना सुखद लग रहा है ! बस ये पल ये समय काश यहीं रुक जाये ...
सीमा समय तो नहीं रुका चलता चला गया पर रवि जरुर तुम्हारा इन्तजार करते हुये वहीं का वहीं रुका हुआ है आज भी .... कभी वापस पलटकर आती तो देखती ... पर तुम तो ..... कहकर रवि चुप हो गया !
सीमा अवाक सी देखती रही .... सोचने लगी कि इतना प्रेम था तो कहा क्यूँ नहीं ... मैं भी कभी कहीं और शादी नहीं करती .... पर सर अब मेरी दुनिया बहुत अलग है .. मेरा एक हँसता खेलता संसार है .... और आप उसमें कहीं नहीं है !
रवि ... अहसास में भी नहीं ... तुम खुश रहो बस मैं इतना ही चाहता हूँ .... ऐसा कहकर रवि आगे बढ़ गया ... सीमा रोकना चाहती थी पर तभी अलार्म बज पड़ा और वह उठी ... उफ्फ सपना था ...
सपना था तभी रविसर को माध्यमिक स्कूल में पाया ... बहुत मन है कि रविसर से बात करुँ पर कैसे ..... मेरे पास कोई माध्यम नहीं उनसे बात करने का ....
कभी कभी सपने कहाँ कहाँ की सैर करा देते हैं किस किस से मिला देते हैं कितना खुशी का अहसास करा देते हैं .... सपनों की भी अपनी एक अलग ही दुनिया रंगबिरंगी सी ...
कभी - कभी सपने कहां-कहां की सैर करा देते हैं ......... बिल्कुल सच्ची बात
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