गिरा रुपैया
बढती मँहगाई
कौन खेवैया !..........१
भ्रष्ट समाज
कलुषित सी सोच
बेमानी आज. !..........२
शिशु मुस्कान
खिले अन्तकरण
फूल समान !.............३
अक्स तुम्हारा
चमकता चन्द्रमा
सबका प्यारा !............४
भगवा वस्त्र
ठगी है मानवता
उठाओ शस्त्र ! ...........५
विषाक्त मन
निकालो समाधान
व्याकुल हम !.............६
सोचो तो जरा
सुरक्षित कहाँ धी
बेमौत मरा ! ..............७
प्रवीन मलिक................
बढती मँहगाई
कौन खेवैया !..........१
भ्रष्ट समाज
कलुषित सी सोच
बेमानी आज. !..........२
शिशु मुस्कान
खिले अन्तकरण
फूल समान !.............३
अक्स तुम्हारा
चमकता चन्द्रमा
सबका प्यारा !............४
भगवा वस्त्र
ठगी है मानवता
उठाओ शस्त्र ! ...........५
विषाक्त मन
निकालो समाधान
व्याकुल हम !.............६
सोचो तो जरा
सुरक्षित कहाँ धी
बेमौत मरा ! ..............७
प्रवीन मलिक................
वाह.्खूब
ReplyDeleteबहुत खूब ... सुन्दर हैं सभी हाइकू ...
ReplyDeleteबहुत सटीक अभिव्यक्ति...
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