जब जब मई आता फिर
से दर्द जगाता है 
बहुत तड़पाता है ,
बहुत रुलाता है 
भीड़ में भी जाने
क्यूँ तन्हा कर जाता है 
फिर से उस दर्द को
हवा दे जाता है 
जिससे भूलने के
लिए बरसों थे लगे 
लेकिन फिर से  अहसास कराता है 
उस पल का जिसमें
मुझसे मेरे वो 
सबसे अजीज हमेशा के
लिए जुदा हुए 
और वो सब अपने साथ
ले गए 
जिससे मेरा वजूद
था जुड़ा.........!
जहाँ कभी अपना
बचपन बिताया था 
जहां से वो हसीं
यादें जुडी थी जो 
अब एक सपना ही बन
कर रह गयी 
वो तो गए ही साथ
में मेरा सब ले गए 
और दिल में एक
दर्द भरा घाव दे गए 
आज तक भी वो घाव
भर नहीं पाता ....!
आँखे कुछ ढूँढती
हैं दिल चुपके से रो जाता है 
वो यादों का तूफ़ान
रह रह कर उठता है 
और मुझे बहा ले
जाता है उस सुनहरे पल में 
जहाँ तुम दोनों
संग मिलकर जाने कितने 
रंगीन और हसीं
खवाब बुने थे जाने कितने 
वो पल थे जिनमे हम
लोगों की खट्टी मीठी 
इन्द्रधनुष सी
सतरंगी यादें थी  जो अब कहीं
काले बादलों में
जा छुपी हैं फिर से न 
लौटकर आने के लिए
, लेकिन वही यादें 
रह रहकर क्यूँ
दर्द दे जाती हैं .........!
काश वो समय लौट
आये फिर से 
चाहे पल दो पल के
लिए ही सही 
मैं फिर से जीना
चाहती हूँ उस पल को
उन यादों को जिनमे
तुम थे हम थे और 
और हमारा वो
प्यारा सा घर था जहाँ
कभी तुम्हारी डांट
सुनती थी तो कभी 
तुम दोनों के प्यार का सागर
हिलोरे लेता था ....!